चर्चा, नोकझोंक और सरकारी हाथों में एफएलटू
राज्य ब्यूरो, देहरादून: पिछले कई महीनों से सरकार और विपक्ष के बीच सियासत का मुद्दा बनी आबकारी नीति म
राज्य ब्यूरो, देहरादून: पिछले कई महीनों से सरकार और विपक्ष के बीच सियासत का मुद्दा बनी आबकारी नीति में सरकार विवादों से बचने की पूरी कोशिश करती नजर आई है। सरकार ने पुरानी नीति के प्रावधानों को ही जारी रखने का फैसला किया लेकिन एफएलटू को निजी हाथों में देने के विपक्ष के तमाम आरोपों को दरकिनार करते हुए इस दफा यह कार्य निजी की बजाय सरकारी एजेंसियों को देने पर मुहर लगा दी। शुक्रवार शाम हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लगी। सूत्रों के अनुसार तकरीबन साढ़े तीन घंटे चली बैठक में इस मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई और कई दफा नोक झोंक की नौबत भी आई।
प्रदेश में शराब के गोदाम (एफएलटू) की संख्या सीमित करने की तैयारी थी। विगत वर्ष सरकार ने अगस्त माह में आबकारी नीति में संशोधन करते हुए प्रदेश में केवल दो ही एफएलटू खोलने का शासनादेश जारी किया था। चूंकि, एफएलटू का आवंटन अप्रैल माह में आई नीति में वर्ष भर के लिए किया जा चुका था, इस कारण संशोधित नीति को लागू नहीं किया जा सका। इस बीच भाजपा ने इसे मुद्दा बनाते हुए शीतकालीन सत्र और बजट सत्र में सरकार को घेरने का प्रयास किया। यहां तक की नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने यह आरोप तक लगा डाला कि सरकार चुनिंदा लोगो को फायदा पहुंचाने के लिए यह कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बात को सिरे से खारिज करते हुए यह कहा था कि सरकार ऐसा कर अभी तक शराब कारोबार में फैले माफियाराज को खत्म कर रही है, बल्कि बु्रवरी व वाईनरी का प्रावधान कर पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले फलों को एक बाजार उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।
नीति पर लगातार हो रहे हंगामे को देखते हुए सत्र से पहले शुरू हुई बैठक में इस मसले पर रायशुमारी की बात कही गई। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर रिपोर्ट कैबिनेट को सौंपने को कहा गया। सूत्रों की मानें तो शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आबकारी नीति से जुड़ा मुद्दा सबसे अधिक छाया रहा। इस दौरान प्रदेश के सबसे बड़े आय के स्रोत को निजी हाथों में देने पर जम कर बहस हुई। अंत में यह निर्णय लिया गया कि एफएलटू का कार्य निजी हाथों को देने की बजाय सरकारी एजेंसियों के जरिए कराया जाएगा। इसके लिए नियमावली की रूपरेखा तय करने को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रियों की समिति का गठन किया गया है। यह समिति 30 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट कैबिनेट को सौंपेगी। सूत्रों के मुताबिक गढ़वाल व कुमाऊं मंडल विकास निगमों के अलावा मंडी परिषद, हार्टिकल्चर मार्केटिंग कारपोरेशन, और कोआपरेटिव के जरिए एफएलटू का संचालन किया जाएगा।