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नहरें प्यासी, सूखी फसल, खेत बंजर

संवाद सूत्र, चकराता: आपदा से क्षतिग्रस्त लगभग डेढ़ दर्जन नहरें दो साल से खुद प्यासी हैं। नहरों की जर

By Edited By: Published: Thu, 26 Mar 2015 08:28 PM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2015 08:28 PM (IST)
नहरें प्यासी, सूखी फसल, खेत बंजर

संवाद सूत्र, चकराता: आपदा से क्षतिग्रस्त लगभग डेढ़ दर्जन नहरें दो साल से खुद प्यासी हैं। नहरों की जर्जर हालत के कारण चकराता क्षेत्र की ¨सचाई व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। खेतों में खड़ी फसलें सूख रही हैं। हालात यह हैं कि कृषि भूमि बंजर होने की कगार पर पहुंच गई है।

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कई साल से नहरों का जीर्णोद्वार न होने व आपदा में तहस-नहस नहरों की मरम्मत न होने के चलते ¨सचाई नहरें लावारिस पड़ी हैं। इससे किसानों की ¨चता बढ़ गई है। पूरी तरह खेतीबाड़ी पर निर्भर जौनसार बावर में ¨सचाई व्यवस्था को मजबूत करने के नाम पर सरकार भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन धरातल पर हालात कुछ ओर हैं। चकराता क्षेत्र की बात करें तो 18 नहरें ऐसी हैं, जिनकी हालत बेहद जर्जर होने के चलते सैकड़ों किसानों की हजारों बीघा कृषि भूमि प्रभावित है। किसान केशवराम, नैन ¨सह, सरदार ¨सह, मेहर ¨सह, अतर ¨सह, अर्जुन दत्त का कहना है कि रखरखाव के अभाव नहरों की हालत जर्जर हो गई है। नहरों में पानी न चलने से किसानों के खेत क्यारी बंजर होने लगे हैं। खेतों में खड़ी फसलें भी सूख गई हैं। इससे किसानों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट पैदा हो गया है। किसानों ने ¨सचाई मंत्री से नहरों का जीर्णोद्वार कराने के साथ ही कृषि मंत्री से फसलों का मुआवजा दिलाने की मांग भी की है।

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चकराता क्षेत्र की कई नहरें जर्जर हैं। एआर मद में पर्याप्त धनराशि न मिलने के साथ आपदा से क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। जर्जर नहरों की मरम्मत के प्रस्ताव शासन को भेजे गए हैं, लेकिन अभी धनराशि अवमुक्त नहीं हो पाई है।

सुभाष चंद पांडेय, अधिशासी अभियंता, सिंचाई खंड अंबाड़ी

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जर्जर नहरें

चकराता की जर्जर नहरों में बोग, बंगोती-टुंगरौली, कोटूवा, खाती, सरना, दुलौटी, बुरास्वा, द्वारला, ठाठ खेडा, गडोगा, कंदाड, बिजनू, गंगासू, झिझोली-रावना, खरकोटा, मिडाल, उमेलधनऊ, सिधिया व राठू नहर शामिल हैं।


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