विधायकों की नाराजगी ने लगाई सूची पर रोक!
-पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ ही विधायकों में अंदरखाने असंतोष -सरकारी दायित्व बांटने में
-पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ ही विधायकों में अंदरखाने असंतोष
-सरकारी दायित्व बांटने में सुझावों की अनदेखी से कांग्रेस के भीतर खींचतान
राज्य ब्यूरो, देहरादून
पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के लैटर बम से फजीहत झेल रही कांग्रेस की मुसीबत विधायकों की नाराजगी बढ़ा सकती है। इस नाराजगी के चलते मुख्यमंत्री को सात दायित्वधारियों की सूची जारी करने पर फिलहाल रोक लगाने को मजबूर होना पड़ा है। मुख्यमंत्री विरोधी खेमा पार्टी में बढ़ती अंतरकलह को हाईकमान के सामने ले जाने की कोशिशों में जुटा है। वहीं मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने शनिवार को नई दिल्ली का रुख किया। माना जा रहा है कि प्रदेश के सियासी हालात पर दोनों नेता प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी को रिपोर्ट देंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा अपने विधानसभा क्षेत्र सितारगंज और शक्तिफार्म में पट्टाधारकों के नियमितीकरण के मुद्दे पर सरकार के स्तर पर फैसला नहीं लेने के खिलाफ तेवर तल्ख कर चुके हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री हरीश रावत को पत्र लिखने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा नई दिल्ली में मीडिया से भी रूबरू हुए। बहुगुणा के रूख ने कांग्रेस के भीतर दिग्गजों में चल रही खींचतान को सार्वजनिक कर दिया है। सूत्रों की मानें तो सिर्फ बहुगुणा ही नहीं, मुख्यमंत्री के करीबी समझे जाने वाले कई विधायक भी अंदरखाने नाराज चल रहे हैं। इस नाराजगी की वजह सरकारी दायित्व वितरण में उनकी और उनके सुझावों की अनदेखी है। विधायक और पार्टी के प्रभावशाली नेता ऐसे किसी भी दूसरे नेता को अहम दायित्व सौंपने के पक्ष में नहीं है, जिन्हें वह अपने प्रभाव क्षेत्र के लिए खतरा मानते हैं।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री को सात दायित्वधारियों को हरी झंडी दिखाने के बाद सूची जारी करने पर इसी वजह से रोक लगाने को बाध्य होना पड़ा है। रविवार को बतौर मुख्यमंत्री एक साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हरीश रावत फिलहाल इस असंतोष को तेज करने के पक्ष में नहीं बताए जाते। सियासी गलियारों में डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस में वापसी कर चुके एसपी सिंह को भी पर्यटन महकमे में एक महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे जाने की चर्चा जोरों पर है। सिंह को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। इस बारे में अधिकृत घोषणा होने की स्थिति में पूर्व काबीना मंत्री और डोईवाला विधायक की नाराजगी के अंदेशे के मद्देनजर इस बारे में आदेश जारी करने से बचने की कोशिश की जा रही है। यह हालात सिर्फ दून में ही नहीं, बल्कि हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी, नैनीताल जिलों में भी बताई जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री विरोधी खेमा अपनी नाराजगी पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने की कोशिश में जुट गया है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री को भी हाईकमान के सामने स्थिति स्पष्ट करनी पड़ सकती है। शनिवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय दिल्ली पहुंच गए। मुख्यमंत्री रविवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में शिरकत कर सकते हैं। इसके बाद वह नई दिल्ली लौटेंगे। उनके दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के सिलसिले में छह फरवरी तक दिल्ली में ही रहने की संभावना है।