मंत्री प्रसाद नैथानी को 15 साल बाद कोर्ट से राहत
संवाद सहयोगी, देहरादून: शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी को 15 साल बाद न्यायालय से बड़ी राहत मिली ह
संवाद सहयोगी, देहरादून: शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी को 15 साल बाद न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ चल रहे आत्महत्या के प्रयास और सड़क जाम करने के मामले को सरकार की अर्जी पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजीव कुमार की अदालत ने बुधवार को खारिज कर दिया। वर्ष 2000 के इस मामले में नैथानी के खिलाफ जमानती, गैर जमानती वारंट जारी होने के साथ कुर्की तक के आदेश हो चुके थे।
न्यायालय में सरकार की ओर से पैरवी करते हुए संयुक्त निदेशक अभियोजन जेएस बिष्ट ने मुकदमे को वापस लिए जाने का प्रार्थना-पत्र दिया था। प्रार्थना-पत्र पर सुनवाई करते हुए बुधवार को न्यायालय ने कहा कि मंत्री प्रसाद नैथानी ने आंदोलन के दौरान कोई तोड़फोड़ या किसी को नुकसान पहुंचाने की नीयत से कोई कृत्य नहीं किया था। लिहाजा, यह आंदोलन लोक हित की श्रेणी में आता है। आत्मदाह के प्रयास का कदम भी उन्होंने बेरोजगारों को लाभ मिले, इसलिए उठाया। इसके बाद न्यायालय ने मुकदमे को खारिज कर दिया।
बता दें कि, 25 मार्च 2000 को मंत्री प्रसाद नैथानी और उनके समर्थकों ने आंदोलन किया था। आंदोलन के दौरान आत्मदाह और सड़क जाम करने के आरोप में पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। नैथानी वर्ष 2002 तक तो न्यायालय में सुनवाई के दौरान कभी-कभार पेश हुए। लेकिन, इसके बाद वह कभी न्यायालय में पेश नहीं हुए। लिहाजा, न्यायालय ने सितंबर 2014 को जमानती वारंट और इसके बाद गैर जमानती वारंट जारी किए। इसके बावजूद नैथानी अदालत में पेश नहीं हुए तो उनकी कुर्की के आदेश दे दिए गए। जिसके बाद मंत्री प्रसाद नैथानी ने जिला जज की अदालत में मुकदमे को वापस लिए जाने के सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए निगरानी याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए जिला जज कोर्ट ने सीजेएम न्यायालय को इस पर सुनवाई के निर्देश दिए थे। सरकार ने जनवरी 2014 में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जनआंदोलन के दौरान हुए मुकदमों को वापस लिए जाने का फैसला किया था।
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पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
न्यायालय ने काबीना मंत्री के खिलाफ चल रहे मुकदमे को तो खारिज कर ही दिया। साथ ही इस दरम्यान हुई कार्रवाइयों में पुलिस की कार्यशैली पर भी टिप्पणी करते हुए उसे कटघरे में खड़ा किया। न्यायालय ने कहा कि गत वर्ष मंत्री प्रसाद नैथानी के खिलाफ जारी किए गए एक भी वारंट को पुलिस तामील नहीं करा सकी। पुलिस तर्क देती रही कि उन्हें मंत्री का घर नहीं मिला। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस किस अंदाज में अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। जब एक काबीना मंत्री के घर को पुलिस नहीं ढूंढ सकी तो वह अपराधियों के घर कैसे ढूंढ सकती है।