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नई आबकारी नीति पर मंथन शुरू

राज्य ब्यूरो, देहरादून: नए वित्तीय वर्ष के आते ही अब आबकारी नीति को लेकर मंथन शुरू हो गया है। इसमें

By Edited By: Published: Sun, 25 Jan 2015 01:01 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jan 2015 01:01 AM (IST)
नई आबकारी नीति पर मंथन शुरू

राज्य ब्यूरो, देहरादून: नए वित्तीय वर्ष के आते ही अब आबकारी नीति को लेकर मंथन शुरू हो गया है। इसमें सबकी नजरें सुपर स्टोर के प्रावधान पर टिकी हुई हैं। यह व्यवस्था पिछली नीति में संशोधन के साथ स्वीकृत की गई थी लेकिन वैधानिक कारणों के चलते यह लागू नहीं हो पाई। यदि इस वर्ष यह व्यवस्था लागू होती है तो फिर इसमें शराब माफियाओं के एकाधिकार बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा इस बार राजस्व बढ़ाने के लिए लाइसेंसधारकों का कोटा बढ़ाने की संभावना भी जताई जा रही है।

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प्रदेश में आबकारी राजस्व बढ़ाने का सबसे अहम जरिया है। इससे सरकार को एक हजार करोड़ से अधिक का राजस्व मिलता है। इस वर्ष सरकार ने आबकारी के लिए 1400 करोड़ का लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य गत वर्ष अंत तक पूरा हो गया था, ऐसे में मुख्यमंत्री ने आबकारी विभाग का लक्ष्य 150 करोड़ का लक्ष्य और बढ़ा दिया था। मार्च अंत तक यह लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद भी जताई जा रही है।

प्रदेश में शराब के लगातार बढ़ते कारोबार को देखते हुए अब सबकी नजरें नई नीति पर हैं। इसमें भी सबके नजरें एफल-टू पर है। दरअसल, प्रदेश में अभी तक विदेशी मदिरा, बियर व वाइन को बेचने के लिए निर्माता अपना स्टोर प्रदेश में खोल सकते थे। इससे प्रदेश में देश भर में बिकने वाले तकरीबन हर ब्रांड बिना किसी दिक्कत के मिल जाते थे। इस बीच सरकार ने मई में नीति में संशोधन किया। इसके तहत प्रदेश में केवल दो सुपर स्टोर खोलने का निर्णय लिया गया। ऐसे में सभी ब्रांड इन्हीं दो सुपर स्टोर के जरिए बेचे जाने का प्रावधान किया गया। हालांकि, विभिन्न कानूनी अड़चनों को देखते हुए यह व्यवस्था लागू नहीं की जा सकी। अब नए वित्तीय वर्ष में सरकार की ओर से किए गए संशोधन पर सबकी नजरें हैं। अंदेशा जताया जा रहा है कि सुपर स्टोर के लाइसेंसधारक शराब की दुकानों को मनमाफिक ब्रांड बेचेंगे, इससे बाजार में एकाधिकार होने की आशंका भी जताई जा रही है।

यह भी माना जा रहा है कि इस वर्ष विभाग का लक्ष्य 1700 करोड़ से अधिक का रखा जा सकता है। इसके लिए दुकानों में कोटा बढ़ाना पड़ सकता है। मौजूदा व्यवस्था में कोटा न बढ़ाए जाने की वकालत जिला आबकारी अधिकारी भी कर चुके हैं। इसी माह शुरूआत में नीति के संबंध में हुई बैठक में यह बातें उठ चुकी हैं। हालांकि, अभी नीति को अंतिम रूप दिए जाने के लिए तकरीबन दो माह का समय शेष है।

बाजार से गायब हो रहे हैं ब्रांड

वित्तीय वर्ष समाप्त होने का समय नजदीक आने से बाजारों से अब कई नामी ब्रांड भी गायब होने लगे हैं। इनके स्थान पर नए ब्रांड बेचे जा रहे हैं। इसे अभी से अगले वित्तीय वर्ष की शुरूआत में शराब के लिए होने वाले ठेकों की लाबिंग के रूप में देखा जा रहा है।


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