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ब्रह्मावाला खाला पर निगम की फजीहत

जागरण संवाददाता, देहरादून: शहर में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण सरकार की शह पर ही हो रहा है, यह बात शनि

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 07:30 PM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 07:30 PM (IST)

जागरण संवाददाता, देहरादून: शहर में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण सरकार की शह पर ही हो रहा है, यह बात शनिवार सुबह साफ हो गई। सरकार न तो अतिक्रमण रोक पा रही, न इसे तोड़ने ही दे रही। ब्रह्मावाला खाला में अतिक्रमण तोड़ने गई नगर निगम की टीम की शासन-प्रशासन ने शनिवार को फजीहत करा डाली। मुख्य नगर अधिकारी समेत निगम अफसर व ढाई सौ कर्मचारी, पोकलैंड मशीन व दो जेसीबी लेकर अवैध बस्ती तोड़ने पहुंच गए, लेकिन प्रशासन की तरफ से न तो मजिस्ट्रेट पहुंचे न पुलिस बल ही। वहीं, अतिक्रमणकारी भी यह देखकर बुलंद हौसलों के साथ रास्ते में बैठ गए और निगम की टीम को अंदर नहीं घुसने दिया। जमकर हंगामा व नारेबाजी हुई। करीब तीन घंटे चले ड्रामे के बाद निगम की टीम बैरंग लौट आई। अतिक्रमणकारियों को निगम ने एक हफ्ते की मोहलत दी है।

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आखिर सरकार और जिला प्रशासन का 'गठजोड़' एक बार फिर ब्रह्मावाला खाला को बचा ले गया। शनिवार को नगर निगम की टीम पूरी तैयारी और दल-बल के साथ सहस्रधारा रोड मंदाकिनी विहार स्थित ब्रह्मावाला खाला पहुंची। गत 15 दिसंबर को ही निगम ने यहां अतिक्रमण हटाने के लिए 20 दिसंबर की तारीख तय कर दी थी। प्रशासन से मजिस्ट्रेट व पुलिस फोर्स मागी गई थी, लेकिन जिलाधिकारी ने शुक्रवार को निगम को पत्र भेजकर मजिस्ट्रेट व पुलिस फोर्स उपलब्ध कराने से मना कर दिया। फिर भी निगम पीछे नहीं हटा व एमएनए हरक सिंह रावत के निर्देशन में दलबल ब्रह्मावाला खाला पहुंच गया। वहां पहले से ही कुछ कांग्रेसी नेता अतिक्रमणकारियों समेत रास्ते में बैठे हुए थे। निगम की टीम को अंदर घुसने ही नहीं दिया गया। उससे पहले ही नेताओं ने एमएनए को घेर लिया। तीन घंटे तक वार्ता का ड्रामा चला और आखिर में नगर निगम को बैकफुट पर आकर अतिक्रमणकारियों को एक हफ्ते की मोहलत देनी पड़ी। टीम बैरंग लौट आई। एमएनए रावत ने कहा कि पुलिस फोर्स और मजिस्ट्रेट न मिल पाने से निगम कार्रवाई नहीं कर सका। अगर फोर्स होती तो कार्रवाई निश्चित होती।

बडे़ नेता गायब, चेले पहुंचे

ब्रह्मावाला खाला मामले में निगम की कार्रवाई का पिछले कुछ दिनो से विरोध कर रहे बड़े कांग्रेसी नेता शनिवार को नहीं पहुंचे। हालांकि, अपने चेलों को उन्होंने मौके पर जरूर भेज दिया और उन्हीं से लगातार अपडेट लेते रहे। हंगामे के दौरान उक्त नेताओं के जिंदाबाद के नारे भी लोगों ने लगाए।

एक दरोगा और चार सिपाही पहुंचे

करीब 250 अतिक्रमणों को तोड़ने और लगभग डेढ़ हजार लोगों के बीच घिरी नगर निगम की टीम को सुरक्षा देने के लिए प्रशासन की तरफ से महज एक दरोगा व चार सिपाही भेजे गए। पांचों पुलिसकर्मी तब पहुंचे, जब हंगामा चरम पर था।

इतनी मांगी गई थी फोर्स

एमएनए की तरफ से डीएम व एसएसपी को पत्र भेजकर दो एडीएम, एक एसपी, दो सीओ, चार इंस्पेक्टर और दस-दस महिला-पुरुष दरोगा व दो-दो प्लाटून महिला-पुरुष पीएसी मांगी गई थी। इसकी एवज में पहुंचे केवल पांच पुलिसकर्मी।

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'कांग्रेस सरकार अतिक्रमण की जनक व संरक्षक बनी हुई है। ये साफ हो चुका है। सार्वजनिक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री कहते हैं कि नगर निगम अपनी जमीनों की सुरक्षा करे। हम अपनी जमीनें बचाने की कोशिश करते हैं तो कांग्रेस के मंत्री और नेता रोड़ा बनकर खड़े हो जाते हैं। सरकार का दोहरा चेहरा सामने है। हमने ब्रह्मावाला खाला खाली कराने की पूरी तैयारी कर ली थी पर सरकार की शह पर प्रशासन और पुलिस ने हमारा साथ नहीं दिया। बिना मजिस्ट्रेट व पुलिस के हम बल प्रयोग कैसे करें। मैने शहरी विकास मंत्री के समक्ष शिकायत दर्ज करा दी है।'

-विनोद चमोली, मेयर


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