मिशन 2017 को कांग्रेस के निशाने पर मोदी
-अगले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की लहर से खतरा महसूस कर रहा सत्तारूढ़ दल -विभिन्न प्रदे
-अगले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की लहर से खतरा महसूस कर रहा सत्तारूढ़ दल
-विभिन्न प्रदेशों में कांग्रेस का हश्र देखते हुए प्रदेश संगठन ने अपनाए आक्रामक तेवर
-केंद्रीय सेवाओं में उत्तराखंड को आरक्षण के साथ ही आपदा के भावनात्मक मुद्दों को बनाया ढाल
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून
मिशन 2017 को लेकर कांग्रेस अभी से आक्रामक हो गई है। खास बात यह है कि पार्टी के निशाने पर प्रदेश भाजपा नहीं, बल्कि केंद्र की मोदी सरकार है। जाहिर है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ज्यादा खतरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महसूस कर रही है। विभिन्न प्रदेशों में हुए चुनाव में मोदी फैक्टर ने जिसतरह कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाई हैं, उसे देखते हुए प्रदेश की कांग्रेस सरकार और संगठन के निशाने पर केंद्र सरकार है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अभी दो साल का वक्त शेष है। लेकिन सूबे की सत्ता पर काबिज कांग्रेस ने भावी चुनाव के मद्देनजर अपनी रणनीति को अभी से अंजाम देना शुरू कर दिया है। यूं तो विधानसभा चुनाव में राज्य से जुड़े मुद्दों को ही तरजीह मिलती है, लेकिन देश में फिलवक्त जिसतरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर है और इसमें विभिन्न प्रदेशों में हुए चुनाव में कांग्रेस को जिसतरह मात खानी पड़ी है, उसे देखते हुए पार्टी ने अभी से फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। यही वजह है कि प्रदेश कांग्रेस ने अपने सियासी एजेंडे के निशाने पर सबसे पहले केंद्र की मोदी सरकार को लिया। युवाओं में मोदी के क्रेज को देखते हुए पार्टी ने केंद्र सरकार की सेवाओं में उत्तराखंड को आरक्षण देने का मुद्दा उछालकर भाजपा और केंद्र सरकार के आगे नया दांव चला है। वहीं आपदा की मार से कराहते उत्तराखंड में इस भावनात्मक मुद्दे पर पुनर्निर्माण पैकेज की मांग करते हुए मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है।
दरअसल, सूबे की सियासत पर मजबूत पकड़ रखने वाले मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीते दिनों गैरसैंण में राजधानी और पर्वतीय विकास के एजेंडे को आगे कर प्रदेश भाजपा को कई मोर्चो पर भिड़ने को विवश कर दिया है। कांग्रेस को ज्यादा चिंता केंद्र और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से होने वाले संभावित हमले को लेकर है। नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ सत्याग्रह कर कांग्रेस ने उत्तराखंड की उपेक्षा का हवाला देते हुए प्रवासी उत्तराखंडियों के बीच पैठ बनाने की कोशिश भी की है। इसके पीछे रणनीति मोदी लहर का असर कम करने के साथ ही राज्य से जुड़े मुद्दों पर जनमानस को कांग्रेस के पीछे लामबंद करने की नजर आ रही है।