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प्रवेश में फर्जीवाड़ा, फिर करोड़ों की चपत

विकास गुसाई, देहरादून राज्य सरकार ने सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस छात्रों के लिए संचालित 15

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 01:02 AM (IST)
प्रवेश में फर्जीवाड़ा, फिर करोड़ों की चपत

विकास गुसाई, देहरादून

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राज्य सरकार ने सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस छात्रों के लिए संचालित 15 हजार रुपये शुल्क पर अनुदानित शिक्षा योजना में जम कर फर्जीवाड़ा हुआ। विभागीय लापरवाही के चलते कई अभ्यर्थी गलत प्रमाणपत्रों के आधार पर प्रवेश पा गए। हालांकि, रिपोर्ट में 24 अभ्यर्थियों को इसका दोषी पाया गया है। योजना के क्रियान्वयन में की गई चूक से सरकार को करोड़ों की चपत भी लगी। ऐसा कालेज छोड़ने वाले छात्रों द्वारा बंधपत्र (बांड) की शर्तो के मुताबिक क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार को 30-30 लाख रुपये की धनराशि न दिए जाने क कारण हुआ।

वर्ष 2008 में राज्य सरकार ने 15 हजार रुपये वार्षिक शुल्क पर एमबीबीएस छात्रों के लिए अनुदानित शिक्षा योजना शुरू की। यह योजना इस बात को ध्यान में रखकर आरंभ की गई कि राज्य के दुर्गम व पहाड़ी क्षेत्रों में डाक्टरों की भारी कमी के मद्देनजर हर साल 200 डाक्टरों की सेवाएं प्राप्त होंगी। सालाना शुल्क में अनुदान की ऐवज में भरवाए गए बांड की शर्त यह थी कि राजकीय मेडिकल कालेजों से उत्तीर्ण होने के बाद ये डाक्टर निर्धारित अवधि तक पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देंगे। अगर वे ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें छह लाख रुपये वार्षिक की दर से 30 लाख रुपये राज्य सरकार को क्षतिपूर्ति के रूप में देने होंगे।

इसमें से स्वेच्छा से कालेज छोड़ने के अलावा यह भी प्रावधान रखा गया कि प्राधिकृत प्राधिकारी द्वारा किसी मेडिकल छात्र को असंतोषजनक अनुशासनात्मक कृत्य, शैक्षणिक विकास तथा राजकीय मेडिकल कालेज में सही चिकित्सा विवरण देने में असफल होने और प्रवेश के समय जानबूझकर गलत जानकारी देने के लिए मेडिकल कालेज से निष्कासित किया जा सकता है।

यह पाया गया था कि राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी द्वारा सात अभ्यर्थियों और राजकीय मेडिकल कालेज श्रीनगर द्वारा 17 अभ्यर्थियों को वर्ष 2008-09 से 2012-13 के दौरान प्रवेश के समय फर्जी मूल निवास प्रमाणपत्रों के प्रयोग किए जाने के कारण कालेज से निष्कासित किया गया था लेकिन न तो अभ्यर्थियों से कोई क्षतिपूर्ति की राशि वसूली गई और न ही राजकीय मेडिकल कालेजों की ओर से ऐसे अभ्यर्थियों से उक्त धनराशि की वसूली के लिए कोई कानूनी कार्यवाही की गई। इस, प्रकार ये राजकीय मेडिकल कालेज राज्य सरकार से अनुदानित चिकित्सा शिक्षा योजना के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार को देय निर्धारित क्षतिपूर्ति की राशि वसूल करने में विफल रहे।

राजकीय मेडिकल कालेज, हल्द्वानी ने अपने जवाब में कहा कि इन प्रकरणों में बंधक जमानत राशि सहित सभी शुल्क जब्त कर लिए गए हैं और सभी अभ्यर्थियों को बंधपत्र की शर्तो के अनुसार क्षतिपूर्ति की समस्त राशि जमा करने के लिए सूचित कर दिया गया था। राजकीय मेडिकल कालेज श्रीनगर ने भी जवाब में कहा कि 16 अभ्यर्थियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट श्रीनगर पुलिस थाने में दर्ज करा दी गई थी और न्यायालय के निर्देशानुसार ही अंतिम कार्यवाही की जाएगी। हालांकि, राजकीय मेडिकल कालेज अन्य दो अभ्यर्थियों के संबंध में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सका।


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