ड्रामे के बाद पैसेफिक हिल को क्लीन चिट
जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी डायवर्जन पर पैसेफिक हिल अपार्टमेंट के निर्माण के दौरान कब्जाई सरकार
जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी डायवर्जन पर पैसेफिक हिल अपार्टमेंट के निर्माण के दौरान कब्जाई सरकारी भूमि के मामले में एक सप्ताह पहले उठा 'तूफान' शांत होता नजर आ रहा है। नगर निगम व एमडीडीए ने भी इस मामले से कदम पीछे खींच लिए हैं। जिला प्रशासन तो शुरू से ही अपने हाथ बांधे खुलकर बिल्डर के पक्ष में खड़ा था। अब सांठगांठ के इस 'खेल' में तीनों सरकारी विभागो ने गुरुवार को पैसेफिक हिल बिल्डर को बड़ी राहत देते हुए उसकी 'चाहत' पूरी कर डाली। तीनों विभागों ने अपार्टमेंट की संयुक्त पैमाइश की और दावा किया कि फ्लैट वाला 100 वर्ग मीटर हिस्सा नगर निगम की जमीन में नहीं है। वह बिल्डर की जमीन में ही है। हालांकि रास्ता जरूर नगर निगम की जमीन में है।
सरकारी जमीनों की बंदरबाट में असली हाथ सरकारी विभागों का ही है। जब जमीनों पर कब्जे हो रहे होते हैं, उस वक्त भी सरकारी विभाग चुप रहते हैं। जब वहां निर्माण कार्य हो चुका होता है, तब विभाग कुछ दिन हो-हल्ला कर बैकफुट पर आने में देर नहीं लगाते। इसके पीछे सेटिंग का 'खेल' वजह माना जाता है। पैसेफिक हिल अपार्टमेंट को लेकर मची हायतौबा का 'सच' भी शायद यही है। नगर निगम की जमीन कब्जाकर वहां 35 फ्लैट समेत रास्ता बना दिया गया, मगर अधिकारियों ने जांच के लिए झांका तक नहीं। निगम की ओर से अब आवाज उठी, लेकिन यह भी दो-चार दिन हाथ-पांव मारने के बाद ठंडी हो गई।
गुरुवार को तो पूरी बाजी ही पलट गई। ना-नुकुर के बाद जैसे-तैसे एमडीडीए और नगर निगम के साथ जिला प्रशासन ने संयुक्त पैमाइश पर हामी भरी। नगर निगम से मुख्य नगर अधिकारी हरक सिंह रावत, एमडीडीए से सचिव वंशीधर तिवारी और जिला प्रशासन से एसडीएम सदर एमएस बर्निया अपने-अपने कर्मचारियों के साथ पैसेफिक हिल अपार्टमेंट पहुंचे। सरकारी टीमों ने खसरा नंबर-24 की पैमाइश की। यहां नगर निगम ने 1200 वर्ग मीटर जमीन पर कब्जे का दावा किया था। दावा था कि रास्ता और फ्लैट का कुछ हिस्सा निगम की जमीन में है। निगम यहां दीवार बनवा रहा था। गुरुवार को पैमाइश के बाद प्रशासन ने दावा किया कि फ्लैट निगम की जमीन में नहीं, बल्कि बिल्डर की भूमि में हैं। निगम की जमीन पर रास्ता बना हुआ है। इसका हल निकाल लिया जाएगा।
सचिवालय में हुई मैराथन बैठक के बाद दी गई क्लीन चिट
पैसेफिक हिल की संयुक्त पैमाइश करने के बाद तीनों विभागों के अधिकारी मसूरी डायवर्जन से सीधे सचिवालय पहुंचे और अपने मोबाइल बंद कर दिए। बताया गया कि शहरी विकास के एक अधिकारी द्वारा तीनों को सीधे उनके ऑफिस पहुंचने का हुक्म दिया गया था। करीब तीन घंटे मैराथन बैठक चली और जुगत भिड़ाई गई कि बिल्डर को राहत कैसे दी जाए। बैठक में तय हुआ कि फ्लैट वाले हिस्से के 100 वर्ग मीटर को बिल्डर के पक्ष, जबकि रास्ते वाले हिस्से में आए 896 वर्ग मीटर को नगर निगम के पक्ष में दिखाया जाएगा। बैठक से निकलते ही अपार्टमेंट संचालक को 35 फ्लैट पर क्लीन चिट दे दी गई।
..तो निगम की पैमाइश थी झूठी
पूरे मामले में नगर निगम पूरी तरह संदेह के घेरे में है। पिछले हफ्ते पैसेफिक हिल की पैमाइश कर 1200 वर्ग मीटर पर कब्जे का दावा कर रहे निगम ने गुरुवार को ऐसे पलटी मारी, मानो वह सीन में था ही नहीं। फ्लैट वाले हिस्से के 100 वर्ग मीटर जब बिल्डर के पक्ष में बताए गए तो निगम के अधिकारियों ने विरोध के बजाए उसका समर्थन किया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या निगम की पैमाइश झूठी थी। निगम के अफसर इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। अफसरों की स्थिति तो यह हो गई कि मैराथन बैठक के बाद भी देर रात तक उन्होंने अपने मोबाइल बंद किए रखे।
नक्शा नहीं होगा रद, होगी कंपाउंडिंग
पैसेफिक हिल के नक्शे को रद करने का दावा कर रहे एमडीडीए ने भी अब पलटी मार ली है। एमडीडीए ने साफ कर दिया है कि चूंकि फ्लैट वाले हिस्से में कब्जा नहीं है, ऐसे में यह मामला कंपाउंडिंग के दायरे में आता है। एमडीडीए के सचिव वंशीधर तिवारी ने बताया कि अब देखा जाएगा कि कंपाउंडिंग में क्या स्थिति बैठती है।
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'मुझे सिर्फ सूचना मिली है। इस पर अभी कुछ नहीं जा सकता। जब तक रिपोर्ट नहीं मिल जाती, मैं कुछ नहीं कह सकता। रिपोर्ट मिलने के बाद उसका अध्ययन कर ही कुछ कहा जाएगा।'
-विनोद चमोली, मेयर