अंटार्कटिका में गूंजेगा बेटियों का नाद
चंद्रप्रकाश पांडेय, देहरादून माउंट एवरेस्ट समेत दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों में से छह फतह करने
चंद्रप्रकाश पांडेय, देहरादून
माउंट एवरेस्ट समेत दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों में से छह फतह करने वाली दून की जुड़वा बहनें ताशी और नुंग्शी गुरुवार को अंतिम चोटी पर पैर जमाने निकल पड़ी हैं। 'टू फार सेवन' अभियान की अंतिम कड़ी के लिए उन्होंने जश्न मनाने का अनोखा तरीका सोचा है। अंटार्कटिका के माउंट विन्शन के लिए निकली दोनों बहनों ने कहा कि 'चोटी पर पहुंचते ही हम वहां थाली बजाएंगे।' वजह यह कि उनके मूल स्थान हरियाणा में बेटे के जन्म पर थाली बजाने की परंपरा है और यह बेटियों की जीत का नाद होगा।एक ऐसा नाद जो बेटे-बेटियों के बीच भेदभाव खत्म करने का संदेश देगा।
अभियान के लिए रवाना होने से पहले 23 वर्षीय नुंग्शी और ताशी ने दैनिक जागरण से खास बातचीत में अपनी इस योजना का खुलासा किया। ताशी बताती हैं कि जब उनके पिता का जन्म हुआ तो हरियाणा में परंपरा के अनुसार गांव में थालियां पीट पीट कर जश्न मनाया गया था। चूंकि, उनके पिता का जन्म तीन बेटियों के बाद हुआ था, ऐसे में घर के लिए यह दोगुनी खुशी थी। दूसरी ओर, उनके पिता कर्नल (सेवानिवृत्त) वीएस मलिक ने दो बेटियों के जन्म के बाद बेटे की ख्वाहिश नहीं की और उन्हें बेटे की तरह ही पाला।
गौरतलब है कि कर्नल वीएस मलिक का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के अमावली गांव में हुआ था। हरियाणा में खाप पंचायत और रूढि़वादिता के कारण बेटियों पर कई तरह की बंदिशें हैं। नुंग्शी कहती हैं 'बेटियों और बेटों में कोई फर्क न किया जाए इसी उद्देश्य को लेकर हम माउंट विंशन की चोटी पर चम्मच से थाली बजाकर लोगों को अपनी मानसिकता बदलने एक संदेश देंगी।'
नुंग्शी-ताशी के पिता वीएस मलिक ने बताया कि नुंग्शी-ताशी मेरे लिए बेटों से बढ़कर हैं। यदि लोगों के अंदर से यह भावना खत्म हो जाए तो देश तरक्की के राह पर और तेजी से आगे बढ़ेगा। देश की बेटियां आज बेटों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं और चुनौती का स्वीकार करने में सक्षम हैं।