निरीक्षण में नहीं पहुंचे एमडीडीए अधिकारी
जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी डायवर्जन स्थित पैसेफिक हिल अपार्टमेंट में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण म
जागरण संवाददाता, देहरादून: मसूरी डायवर्जन स्थित पैसेफिक हिल अपार्टमेंट में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण मामले में नगर निगम के बाद अब एमडीडीए का दोहरा रवैया सामने आ रहा है। दरअसल, दो दिन पहले एमडीडीए दावा कर रहा था कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की पुष्टि हुई तो वह अपार्टमेंट का नक्शा रद करेगा। लेकिन, मंगलवार को मेयर समेत एमएनए और निगम की टीम अपार्टमेंट का निरीक्षण करने पहुंची तो एमडीडीए अधिकारी नदारद थे। एमडीडीए अधिकारी यह कहते रहे कि रास्ते में हैं और दो घंटे बाद भी मौके पर नहीं पहुंचे। नगर निगम के साथ 'तू डाल-डाल, मैं पात-पात' का 'खेल' खेल रहे एमडीडीए की यह कार्यप्रणाली शासन तक चर्चा में है। उधर, देर शाम एमडीडीए सचिव वंशीधर तिवारी ने दावा किया कि पैसेफिक हिल अपार्टमेंट के खसरा नं. 24 में कार्य रुकवा दिया गया है। साथ ही संयुक्त निरीक्षण के लिए प्रशासन से आग्रह किया गया है।
पैसेफिक हिल अपार्टमेंट का मामला अब सरकारी विभागों की पोल भी खोल रहा है। पहले जिला प्रशासन की ओर से गलत जांच कर हाई कोर्ट में झूठा हलफनामा देने की पोल खुली और अब एमडीडीए की। एमडीडीए उपाध्यक्ष पिछले हफ्ते दावा ठोक रहे थे कि सरकारी जमीन पर कब्जा मिला तो नक्शा रद किया जाएगा। मगर, मंगलवार को उनका दावा हवा साबित हुआ। दरअसल, पिछले हफ्ते नगर निगम ने अतिक्रमण की गई भूमि पर कब्जा लेकर दीवार निर्माण शुरू कर दिया था। मंगलवार को मेयर विनोद चमोली, मुख्य नगर अधिकारी हरक सिंह रावत, अपर मुख्य नगर अधिकारी हर्षवर्धन मिश्रा, अधिशासी अभियंता रचना पायल, कर अधीक्षक राजेश नैथानी समेत लगभग डेढ़ दर्जन अफसरों की टीम पैसेफिक हिल अपार्टमेंट में निरीक्षण को पहुंची। यहां निरीक्षण के लिए एमडीडीए अधिकारियों को भी बुलाया गया था, लेकिन वह पहुंचे ही नहीं। निगम की टीम दो घंटे तक इंतजार करती रही और अधिकारी यही कहते रहे कि वे रास्ते में हैं, पहुंच रहे हैं। बाद में मेयर ने उन्हें अपने कार्यालय में आने को कहा। यहां भी एमडीडीए अधिकारियों ने मामले में कोई खास रुचि नहीं दिखाई और मेयर द्वारा नक्शे की जांच में तेजी लाने की बात पर भी उनका रवैया ढुलमुल ही दिखा। इससे साफ है कि एमडीडीए इस मामले को रफादफा करने की जुगत में है।
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मेयर ने दिए काम रोकने के निर्देश
मेयर चमोली ने निर्देश दिए कि अपार्टमेंट के जिस भाग में नगर निगम ने अपनी भूमि पर कब्जा लिया है, वहां बिल्डर कोई निर्माण कार्य न कराए। निगम ने नीचे वाले सात फ्लैट पर कब्जा लिया हुआ है, जबकि ऊपर वाले 28 फ्लैट पर निर्माण कार्य जारी था। मेयर ने कहा कि, जब नीचे वाली जमीन निगम की है तो ऊपर वाले फ्लैट स्वत: निगम की जमीन में हैं। उन्होंने बिल्डर को चेतावनी दी, अगर काम नहीं रुका तो मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। वहीं, निगम की जमीन में पड़ी रेत बजरी व वहां खड़ी मशीनों को हटाने के लिए बुधवार सुबह तक का वक्त दिया गया है। ऐसा न होने पर मेयर ने पूरा सामान जब्त करने के आदेश दिए।
हाई कोर्ट के रुख पर टिकी निगाह
इस मामले में शासन, प्रशासन, नगर निगम, एमडीडीए, बिल्डर व निवेशकों की निगाह अब हाई कोर्ट के रुख पर टिकी हुई है। हाई कोर्ट में नगर निगम ने अपना पक्ष साबित कर दिया तो बिल्डर व प्रशासन समेत एमडीडीए के कुछ अधिकारियों का फंसना तय माना जा रहा है। मामले में पूर्व में हुई जांच में प्रशासन पर बिल्डर के संग सांठगांठ कर हाई कोर्ट में झूठा हलफनामा देकर बिल्डर को क्लीन चिट देने का आरोप हैं। वहीं, एमडीडीए पर निर्माण के दौरान साइट पर जाकर जांच न करने समेत नक्शे के अनुरूप निर्माण न होने पर भी बिल्डर पर कार्रवाई न करने का आरोप है।
रकम वापस मांगने आ रहे निवेशक
पैसेफिक हिल अपार्टमेंट में विवाद को देखते हुए निवेशकों में भी हलचल मच गई है। वह अपनी रकम वापस मांगने बिल्डर के कार्यालय पहुंच रहे हैं। मंगलवार को भी अपार्टमेंट दफ्तर में कुछ निवेशकों ने रकम वापसी की मांग की।
पेड़ कटान के मामले में जांच ठंडी
मौके पर अवैध तरीके से पेड़ कटान के मामले की जांच ठंडी पड़ गई है। बता दें कि तीन पेड़ काटने की अनुमति लेकर यहां दर्जनों पेड़ काट दिए गए थे। उद्यान विभाग व वन विभाग ने मामले की जांच शुरू की थी, लेकिन यह जांच ठंडे बस्ते में जाती नजर आ रही है।