केदार घाटी में पुजारी ट्रेक की तलाश
सुभाष भट्ट, देहरादून नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) की कोशिशें परवान चढ़ीं, तो दैवीय आपदा से तबाह
सुभाष भट्ट, देहरादून
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) की कोशिशें परवान चढ़ीं, तो दैवीय आपदा से तबाह हो चुकी केदार घाटी निकट भविष्य में साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाएगी। अपनी इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए निम की टीम केदार घाटी में हर प्रकार की संभावनाएं तलाश रही है। आपदा के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा बचने के लिए अपनाए गए रास्तों व पगडंडियों को ट्रेकिंग रूट के तौर पर विकसित करने की तैयारी है। साथ ही, केदारनाथ व बदरीनाथ के बीच उस पुजारी ट्रेक की भी तलाश की जा रही है, जिसकी चर्चा अब तक सिर्फ जनश्रुतियों में ही होती रही है।
दरअसल, वर्षो से यह मान्यता चली आ रही है कि किसी जमाने में पौराणिक धाम केदारनाथ व बदरीनाथ का एक ही पुजारी हुआ करता था, जो नियमित रूप से पहले केदारनाथ व फिर बदरीनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करता था। दोनों धामों के बीच की दूरी तय करने के लिए पुजारी एक विशेष रास्ते का उपयोग करता था, जिसकी दूरी काफी कम बताई जाती है। हकीकत यह है कि जनश्रुतियों में चर्चित इस विशेष रास्ते के बारे में स्थानीय तीर्थ पुरोहितों व पंडा समाज को भी कोई जानकारी नहीं है, मगर नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की टीम अब इस विशेष रास्ते को तलाशने में जुट गई है।
मकसद है जनश्रुतियों में चर्चित इस रास्ते की हकीकत सामने लाना। साथ ही, यदि ऐसा कोई रास्ता वजूद में है, तो उसकी तलाश कर उसे 'पुजारी ट्रेक' के नाम पर विकसित करना। निम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल बताते हैं कि इस रास्ते की तलाश के लिए सेना के कंटूर मैप के जरिए क्षेत्र के भूगोल का विश्लेषण किया जा रहा है। जल्द ही एक टीम इस रास्ते की रेकी के लिए रवाना की जाएगी। उन्होंने बताया कि जून 2013 की आपदा में फंसे लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए जिन जंगली रास्तों व पगडंडियों का इस्तेमाल किया, उन्हें भी ट्रेकिंग रूट के तौर पर विकसित किया जा रहा है।
इसका उद्देश्य इनके जरिए आपदाग्रस्त केदार घाटी को साहसिक पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाना है। साथ ही, आपदा जैसी परिस्थितियों में यात्रियों को सकुशल बाहर निकालने के लिए भी इनका उपयोग किया जा सके। इसके अलावा, चोराबाड़ी ट्रेक, बासुकीताल, त्रियुगीनारायण, चौमासी आदि कुछ स्थल हैं, जहां ट्रेकिंग जैसी साहसिक गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं। यदि केदार घाटी को साहसिक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित किया जा सका, तो आपदा प्रभावित स्थानीय युवाओं को भी यहां स्वरोजगार से जोड़ा जा सकेगा।