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नौकरशाही पर सियासत का रुख मोड़ने को नया दांव

-सीएम हरीश रावत ने एन रविशंकर की ताजपोशी से साधे कई निशाने -सीएस पद पर आला नौकरशाह की दावेदारी पर

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 01:01 AM (IST)
नौकरशाही पर सियासत का रुख मोड़ने को नया दांव

-सीएम हरीश रावत ने एन रविशंकर की ताजपोशी से साधे कई निशाने

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-सीएस पद पर आला नौकरशाह की दावेदारी पर उठ रहे विरोध के सुरों को तरजीह

-नए सीएस एन रविशंकर के सामने फील्ड अफसर की छवि बनाने की चुनौती

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून

सूबे में नौकरशाही हावी होने के मुद्दे पर रह-रहकर कांग्रेस के भीतर और बाहर गरमा रही सियासत का रुख मोड़ने को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सधे अंदाज में नया दांव चल दिया है। आला नौकरशाह के पद पर सूबे के भीतर से ही मजबूत दावेदारी को नजरअंदाज कर केंद्र में प्रतिनियुक्ति खत्म कर लौटे एन रविशंकर की ताजपोशी एक तीर से कई निशाने साधने की ऐसी ही कोशिश मानी जा रही है। अलबत्ता, मुख्यमंत्री के इस दांव से आइएएस अफसरों के एक खेमे में खलबली है तो दूसरा खेमा इसे अपनी रणनीतिक जीत के तौर पर देख रहा है। वहीं आइएएस के तौर पर सफर शुरू करने के साथ ही फील्ड अफसर के रूप में पहचान बनाने वाले सुभाष कुमार के बाद नए मुख्य सचिव बने एन रविशंकर के सामने कई चुनौती हैं। उन्हें उत्तराखंड की विषम परिस्थितियों में खुद मोर्चा संभालने के साथ ही अन्य नौकरशाहों को भी दुर्गम में जाने से कन्नी काटने की आदत छुड़ानी होगी।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से नौकरशाही के हावी होने को मसला सियासी फिजा में तल्खी घोलता रहा है। नौकरशाही के रुख को लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत विपक्ष ही नहीं, अपनों के भी निशाने पर रहे हैं। हरीश कैबिनेट के एक मुखर सदस्य के साथ ही आपदा प्रभावित क्षेत्रों के विधायकों की इस मामले में नाराजगी सामने आने के बाद विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल भी नौकरशाही को दुरुस्त करने की जरूरत बता चुके हैं। नाराजगी के इन सुरों को मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए दूर करने की कोशिश की कि वह प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल करेंगे। नौकरशाही के शीर्ष पद मुख्य सचिव के रूप में एन रविशंकर को तैनाती को लेकर सरकार ने जिसतरह चुपचाप लेकिन तेजी के साथ कदम बढ़ाए, उसके जरिए मुख्यमंत्री ने रणनीतिक संकेत दे डाले हैं।

मुख्य सचिव के पद पर सूबे से एक आला नौकरशाह की मजबूत दावेदारी को सरकार ने साफतौर पर नजरअंदाज कर दिया। आइएएस अफसरों का एक तबका कुछ अरसा पहले उक्त नौकरशाह की मुखालफत मुख्यमंत्री से भी कर चुका है। नए मुख्य सचिव की ताजपोशी के दौरान सरकार पर मजबूत पकड़ रखने वाले नौकरशाह की गैर मौजूदगी और मुखालफत में सक्रिय रहे आइएएस अफसरों की मौजूदगी ने शासन में अंदरखाने खींचतान को नुमायां किया है। मुख्य सचिव पद पर नई ताजपोशी के बाद यह खींचतान रोकने की चुनौती सरकार और नए मुख्य सचिव के सामने है। मुख्य सचिव के रूप में पदभार ग्रहण करते वक्त एन रविशंकर ने नौकरशाही को एकसूत्र में पिरोकर आगे बढ़ने की बात कहकर इस दिशा में कुछ संकेत दिए हैं। एन रविशंकर सात वर्षो तक सूबे में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। लेकिन, उनकी छवि फील्ड अफसर की नहीं रही। उनसे पहले सुभाष कुमार मुख्य सचिव और उससे पहले मंडलायुक्त और जिलाधिकारी के पदों पर रहते हुए फील्ड अफसर की छवि बनाने में कामयाब रहे। वहीं आइएएस के अपने कार्यकाल के दौरान सिर्फ एक जिले के डीएम पद पर रहे नए मुख्य सचिव एन रविशंकर को इस चुनौती से भी जूझना होगा।


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