दुख-दर्द भी नहीं बांट पा रहे ग्रामीण
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: आपदा से प्रभावित यमकेश्वर ब्लॉक के दर्जनों गांवों की स्थिति कुछ इस तरह की हो गई है कि वह एक-दूसरे भी अपना दर्द नहीं बांट पा रहे हैं। इन गांवों तक पहुंचने के मोटर और पैदल मार्ग इस कदर ध्वस्त हो गए हैं कि आवाजाही पूरी तरह से ठप है।
14 व 15 अगस्त को हुई अतिवृष्टि ने यमकेश्वर ब्लॉक के गांवों का इतिहास और भूगोल तो बदल ही दिया। इन गांवों की जीवन रेखा और धमनियों के रूप में काम करने वाले संपर्क मार्गो को भी तहस-नहस करके रख दिया है। आलम यह है कि यहां एक-दूसरे गांवों के बीच का संपर्क भी पूरी तरह ठप हो गया है। यूं तो पूरे ब्लॉक में शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जहां आपदा का असर न हो। गांवों में कई परिवारों के आशियाने उजड़ गए, कई परिवार जर्जर भवनों में जाने से कतरा रहे हैं। बेघर हो चुके लोग गांव में ही सुरक्षित घरों में शरण लिए हुए हैं। बड़ी परेशानी यह है कि सुरक्षित लोगों के पास अब खाद्यान्न का संकट बढ़ गया है और दिन प्रतिदिन यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। छह दिनों से लोग अपने गांव से बाहर नहीं आ पाए हैं। स्थिति यह है कि गांव में भी एक खोले से दूसरे खोले में जाने के लिए भी रास्ते नहीं बचे हैं। जिससे लोग आसपास के गांवों में रिश्ते-नाते के लोगों के हाल जानने के साथ सुख-दुख भी नहीं बांट पा रहे हैं। क्षेत्र के सिलसारी, रणचूला, गाडसारी, ताल, नौगांव, तिमली, अकरा, कंडरा, पटना, बुकंडी, आमडी तल्ली, कलवण, रिंगोली आदि गांवों में लोग देश व दुनिया से अलग-थलग पड़ गए हैं। सड़कों को खोलने का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन यहां जीवन कब तक जीवन पटरी पर आ पाएगा कह नहीं सकते।
लोगों ने खुद तैयार किया रास्ता
नीलकंठ न्याय पंचायत के ग्राम पंचायत कोठार के इड़िया गांव का संपर्क भी 14 अगस्त की रात को दूसरे गांवों से टूट गया था। इड़िया-दिउली के बीच पैदल मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। पांच दिन बाद भी जब सरकारी तंत्र यहां नहीं पहुंच पाया तो ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान कर पैदल मार्ग को दुरुस्त करना शुरू कर दिया। तोली से नीलकंठ के बीच भी पिछले पांच दिन से संपर्क मार्ग बंद है। बुधवार को तोली के नागरिकों ने खुद ही पैदल मार्ग पर श्रमदान शुरू कर दिया।
स्कूल में शरण लिए तीन परिवार
किमसार न्याय पंचायत के देवराणा गांव में तीन परिवारों के आसियाने ध्वस्त हो गए हैं। यहां तीन परिवार प्राथमिक विद्यालय देवराणा में शरण लिए हुए हैं। तीन परिवारों के करीब एक दर्जन सदस्यों का अभी तक गांव के लोग ही खाद्यान्न का प्रबंध कर रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे गांव में लोगों का स्टोर किया खाद्यान्न भी खत्म होने लगा है। यहां कौड़िया-किमसार मोटर मार्ग अभी तक नहीं खुल पाया है। इससे यहां खाद्यान्न पहुंचाना भी चुनौती बन गया है। स्थानीय निवासी मुकेश चंद्र देवरानी ने बताया कि अभी तक गांव में न तो कोई अधिकारी पहुंचा और न सरकारी मदद। उन्होंने जल्द से जल्द यहां खाद्यान्न और राहत भेजने की मांग की।
भगवान भरोसे कई परिवार
ग्राम पंचायत आमड़ी, जुड्डा में दर्जनों परिवार भगवान भरोसे हैं। यहां आमड़ी पांच भवन जमींदोज हो गए थे। यह पांच परिवार अब गांव के पंचायत भवन में शरण लिए हुए हैं। एक हॉल में 22 लोग किस तरह रह रहे होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है। आमड़ी के ही कलबण व रिंगोली में चार मकान रहने के काबिल नहीं है। लोग आसपास के घरों में पनाह लिए हुए हैं। स्थानीय निवासी तथा वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी इंद्रदत्त शर्मा ने बताया कि अभी तक गांव में प्रशासन का कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है।