पंचेश्वर बांध,अभी चुनौतियां बहुत है
जागरण संवाददाता, चम्पावत: केंद्र सरकार ने भले ही अंतरराष्ट्रीय पंचेश्वर बांध परियोजना के निर्माण
जागरण संवाददाता, चम्पावत: केंद्र सरकार ने भले ही अंतरराष्ट्रीय पंचेश्वर बांध परियोजना के निर्माण के लिए कमर कस ली हो। लेकिन इसके निर्माण में अभी चुनौतियां बहुत है। जहां सबसे बड़ा सवाल विस्थापन का है तो नेपाल में बदले राजनैतिक हालातों को देखते हुए बांध का निर्माण कार्य दूर की कौड़ी ही दिखाई दे रहा है।
एशिया की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना को बनने से एक कदम ही दूरी पर है। जहां बांध बनने से विकास की बयार बहेगी तो इससे आने वाले खतरे भी कम नही होंगे। सबसे बड़ी चुनौती सरकार के पास विस्थापितों की होगी। बांध निर्माण से पिथौरागढ़, चम्पावत व अल्मोड़ा जिले के लगभग 24 गांवों के हजारों परिवार विस्थापित होंगे। इन गांवों को दूसरी जगह पुर्नवासित करना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा। बांध निर्माण के कार्य शुरू होने से पहले विस्थापितों का पुर्नवास सबसे बड़ा सवाल है। अभी तक सरकार आपदा प्रभावितों का पुर्नवास नही कर पाई है। दशकों से आपदा प्रभावित पुर्नवास की राह देख रहे है। ऐसे में डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों को दूसरी जगह बसाना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके बिना निर्माण कार्य संभव नही।
दूसरी चुनौती नेपाल है। भले ही नेपाल के अधिकारी सहयोग की बात कह रहे है। लेकिन नेपाल के बदले हुए राजनैतिक हालातों में पंचेश्वर बांध को हरी झंडी मिलना अभी दूर की कौड़ी ही दिखाई दे रही है। फिलहाल अगर केंद्र सरकार की बात कहे तो बांध बनने से क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। पलायन रूकेगा। पिछड़े हुए क्षेत्रों का विकास होगा। इसका लाभ भारत तक ही सीमित नही रहेगा बल्कि नेपाल भी इस परियोजना से लाभांवित होगा।
पंचेश्वर जैसे बड़े बांध पहाड़ की भौगोलिक संरचना में किसी खतरे से कम नही है। यह पूरा क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। जहां यूरोप, अमेरिका जैसे देश बड़े बांधों का विरोध कर रहे है हमारी सरकार इन बांधों का समर्थन कर रही है। बांध का विरोध किया जाएगा। जो लोग विस्थापित होंगे उनका कोई जिक्र नही किया जा रहा।
उक्रांद के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी