चौड़ी पत्ती के पौधों का रोपण कर बचाएं जल स्रोत
संवाद सहयोगी, चम्पावत : मुख्य विकास अधिकारी ने पेयजल स्रोतों के संरक्षण, संवर्धन के लिए कार्य योज
संवाद सहयोगी, चम्पावत : मुख्य विकास अधिकारी ने पेयजल स्रोतों के संरक्षण, संवर्धन के लिए कार्य योजना तैयार करने के संबंध में विभागीय अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने जल स्रोतों में पानी की कमी को देखते हुए उसके आसपास चौड़ी पत्ती के पौधों का रोपण करने के निर्देश दिए। सीडीओ हरगोविंद भट्ट ने कहा कि पेयजल स्त्रोत बचाने के लिए चौड़ी पत्ती के पौधों का रोपण करने के साथ ही जिला जल एवं स्वच्छता समिति को भी पेयजल पुनर्भरण एवं पुनरूद्धार के लिए सक्रिया करना होगा। उन्होंने जल संस्थान, जल निगम, स्वजल, पर्यटन आदि विभागों के अधिकारियों से कहा कि किसी भी पेयजल योजना, नौले, धारे के पुनरूद्धार के लिए योजना में पौधारोपण को भी सम्मिलित करें। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा जल के जल स्त्रोतों के पुर्नभरण में कमी एवं वर्षा की प्रकृति में बदलाव, तीव्रता में वृद्धि एवं शीतकालीन वर्षा में गिरावट से जल स्त्रोतों में निरंतर पानी की कमी हो रही है। इसका बचाव प्राथमिकता के आधार पर किया जाना है। उन्होंने पेयजल स्त्रोतों, नौलों, धारों का चिन्हीकरण कर उसके आसपास पानी को रोकने वाले पौधों का रोपण करने को कहा। उन्होंने हैंडपंप, नलकूपों के आसपास भी वृक्षारोपण को महत्व देने के निर्देश दिए। सीडीओ ने क्षतिग्रस्त ग्रामीण एकल पेयजल के साथ नई योजनाओं में प्राथमिकता तय करते हुए आंगणन व प्रस्ताव नेशनल रूरल ड्रिकिंग वाटर प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रस्तुत करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। पर्यटन विभाग को नौले, धारों की सूची, उनके सौंदर्यीकरण, पौधरोपण के प्रयास करने को कहा। सीडीओ ने बताया कि बीएडीपी योजना में 30 हैंडपंप प्रस्तावित किए गए हैं। उन्होंने अति आवश्यकता वाले गांवों को प्राथमिकता में रखने के निर्देश दिए। बैठक में ईई जल संस्थान आरके वर्मा, पर्यटन अधिकारी आरएस ऐरी, स्वजल केपरियोजना प्रबंधक एमके गर्ग व संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।