संरक्षण का तरसता एकहथिया नौला
संवाद सहयोगी, चम्पावत: चंद राजाओं की वर्षो तक राजधानी रही चम्पावत में कई बेजोड़ कलाकृतियां आज भी म
संवाद सहयोगी, चम्पावत: चंद राजाओं की वर्षो तक राजधानी रही चम्पावत में कई बेजोड़ कलाकृतियां आज भी मौजूद है। जो उस समय के शासकों की समृद्धि ऐश्वर्य व इतिहास को बयां करती है। ऐसी ही एक बेजोड़ व अनुपम कलाकृतियों में एक है एकहथिया नौला। जो आज रखरखाव व संरक्षण के अभाव में कही लुप्त होती दिखाई दे रही है।
जिला मुख्यालय के पश्चिमोत्तर दिशा में लगभग 4 किमी की दूरी पर ढकना गांव स्थित है। ढकना गांव तक सड़क मार्ग है। वहां से दो किमी दूरी पर पुरातात्विक व ऐतिहासिक नौला एकहथिया है। एक हाथ से निर्मित होने के कारण इस नौले का नाम एकहथिया पड़ा। लोकमान्यता है कि कुमांऊ की स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध बालेश्वर मंदिर का निर्माण करने वाले मिस्त्री जगन्नाथ का एक हाथ चंद शासकों ने कटवा दिया था ताकि बालेश्वर जैसा निर्माण दोबारा न हो सके। लेकिन जगन्नाथ ने अपनी कला को जिंदा रखा। उसने अपनी पुत्री की सहायता से ढकना गांव से दो किमी दूर पर पानी की बावड़ी नौले का अति आकर्षक रूप दिया। नौले में लगे पत्थरों पर लोकजीवन के विभिन्न दृश्यों, नर्तक, वादक, गायक, कामकाजी महिलाओं आदि का सजीव चित्रण प्रभावशाली तरीके से किया गया है। कला की दृष्टि से कुमांऊ की बेजोड़ कलाकृतियों में से एक है। यह जिले के दर्शनीय स्थलों में से एक है जहां कई लोग जाते है।
- इतिहास के जुड़ी चीजों का सहेजने की परंपरा नहीं रह गई है। जिस कारण आज इतिहास संरक्षण के अभाव में कही लुप्त होते जा रहा है। इसके संरक्षण के लिए कोई प्रयास नही कर रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो एक दिन बेजोड़ स्मारक इतिहास के पन्नों तक सिमटकर रह जाएंगे।
- डॉ. प्रशांत जोशी, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग, डिग्री कालेज चम्पावत।