पशुपालन के प्रति कम हो रहा रुझान
संवाद सहयोगी, चम्पावत : जिले में पूर्व में ग्रामीणों का रूझान पशुपालन की ओर काफी था। ग्रामीण सुबह
संवाद सहयोगी, चम्पावत : जिले में पूर्व में ग्रामीणों का रूझान पशुपालन की ओर काफी था। ग्रामीण सुबह दूध व दही लेकर बाजार में बेचने को पहुंचते थे। उनकी आजीविका का भी यह मुख्य साधन था लेकिन अब गांवों से पलायन की मार पशुपालन पर पड़ी है। ग्रामीणों में संकर नस्ल की गाय का क्रेज तो बढ़ा है लेकिन भैंस व बकरी पालन से वह विमुख हो रहे हैं।
जिले के अधिकांश गांवों में पिछले सात-आठ वर्ष पूर्व भैंस व बकरी पालन के प्रति लोगों का रुझान काफी अधिक था। चम्पावत ठंडा इलाका माना जाता है जबकि भैंसों के लिए गरम मौसम अधिक उपयुक्त है। ठंडा होने की वजह से दूध पर असर पड़ा। भैंस की देखरेख अधिक होने व उसे पालने में आने वाली अधिक लागत तथा चारा कम होने से अब लोगों ने इन्हें पालना काफी कम कर दिया है। इससे दूध उत्पादन पर भी असर पड़ा है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पीएस भंडारी ने बताया कि भैंस पालन कम हुआ है लेकिन ग्रामीणों का रुझान संकर नस्ल की गायों के प्रति बढ़ा है। इससे दूध की कमी जिले में नहीं है। पिछले 10 वर्षो में संकर नस्ल की गायों में कृत्रिम गर्भाधान 10 गुना तक बढ़ा है। बकरी पालन के प्रति भी लोगों का मोह कम हो रहा है। पूर्व में जिले में 65 हजार बकरियां थी लेकिन अब यह 50 हजार ही रह गई हैं।
जिले में पशुओं की स्थिति
स्थान संकर नस्ल देशी भैंस
चम्पावत 6422 16284 5302
लोहाघाट 12249 18791 7498
पाटी 1313 19050 5644
पूर्णागिरि 2246 15202 4688
कुल 22230 69329 23132
चारा कम होने से पशुपालन की ओर रुझान कम हो रहा है। पशुपालक संकर नस्ल को पंसद कर रहे हैं। कृत्रिम गर्भाधान जिले में पिछले 10 वर्षो में 10 गुना बढ़ा है। पशुपालकों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है।
पीएस भंडारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी