अपनों को ही भाजपा ने कर दिया पराया
दो बार भाजपा के टिकट से जीत कर उप्र विधानसभा पहुंचे थे पुनेठा 1977 से आए सक्रिय राजनीति में ---
दो बार भाजपा के टिकट से जीत कर उप्र विधानसभा पहुंचे थे पुनेठा
1977 से आए सक्रिय राजनीति में
---फोटो:-20सीएमटीपी7---
जागरण संवाददाता, चम्पावत: इस्तीफा देते समय भाजपा के पूर्व विधायक के मन में एक पीड़ा थी। वह पीड़ा थी पार्टी के अपने मूल विचारों से हटने की। उन्होंने कहा कि आज अपनों ने अपनों को ही पराया कर दिया।
लगभग 40 साल पहले 1977 में केसी पुनेठा जनसंघ से जुड़कर सक्रिय राजनीति में आए। तीन साल जनता पार्टी में रहने के बाद जब 1980 में भाजपा बनी तो वह पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता बने। उनके पार्टी के प्रति समर्पण को देखते हुए 1991 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में उन्हें पिथौरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट मिला। उन्होंने कांग्रेस नेता महेंद्र सिंह माहरा को पराजित किया। इसके बाद फिर उन्होंने 1996 में पिथौरागढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। लगातार दो बार उत्तरप्रदेश की विधानसभा में उन्होंने पहाड़ का प्रतिनिधित्व किया।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2002 में पिथौरागढ़ से अलग होकर बनी लोहाघाट विधानसभा से चुनाव लड़ा लेकिन वह कांग्रेस नेता महेंद्र सिंह माहरा से हार गए। 2007 में भी पार्टी ने उन्हें टिकट दिया लेकिन वह फिर हार गए। लेकिन उनके संघर्ष करने की लगन ने सक्रिय राजनीति से जोड़े लगा। आज भी वह भाजपा में सक्रियता से काम कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि 2017 के विधानसभा क्षेत्र चम्पावत से पार्टी टिकट देगी। लेकिन उन्हें टिकट नही मिला। जिससे नाराज होकर उन्होंने 40 साल की बीजेपी की राजनीति को विदा कर दिया।
पूर्व विधायक केसी पुनेठा
- जन्मतिथि 1952
- आरएसएस से जुड़े- 1964
-सक्रिय राजनीति में आए - 1977
- 1991 में पहला चुनाव पिथौरागढ़ विधानसभा से लड़ा और जीते।
- 1996 में फिर पिथौरागढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीते
- राज्य गठन के बाद 2002 में हुए चुनाव में लोहाघाट विधानसभा से लड़ा चुनाव- हारे
- 2007 में भी लोहाघाट विधानसभा से चुनाव लड़ा- हारे।
----- पहली बार में जीत कर बनी मंत्री बीना----
फोटो:- 20सीएमटीपी8---
चम्पावत: दिग्गज बीजेपी नेता मदन सिंह महराना की असामयिक निधन के बाद उनकी पत्नी बीना महराना आनन-फानन में राजनीति में आई। विशुद्ध रूप से घरेलू कामकाजी महिला उस समय तक वह राजनीति की एबीसी भी नही जानती थी। 2007 के चुनावों में बीजेपी ने बीना महराना को चम्पावत विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट दिया। वह जनता की नजरों में खरी उतरी और जीत कर विधानसभा पहुंची। पार्टी ने भी उन्हें सिर आंखों पर बैठाया और राज्य मंत्री बना दिया। वह भाजपा सरकार में बाल व महिला सशक्तिकरण मंत्री बनी। 2012 में वह चम्पावत विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नही लड़ी। 2017 के आम चुनावों में उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी टिकट देगी। लेकिन ऐसा नही हुआ। पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा ने उन्होंने भी पार्टी को अलविदा कह दिया। दोनों दिग्गजों के जाने से पार्टी को भारी झटका लगा है।