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मतदाताओं की बेरूखी मजबूत लोकतंत्र की राह में रोड़ा

जागरण संवाददाता,चम्पावत: प्रदेश की कुछ विधानसभा क्षेत्रों में मत प्रतिशत बढ़ने के बजाय लगातार घटते ज

By Edited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 01:00 AM (IST)
मतदाताओं की बेरूखी मजबूत लोकतंत्र की राह में रोड़ा
मतदाताओं की बेरूखी मजबूत लोकतंत्र की राह में रोड़ा

जागरण संवाददाता,चम्पावत: प्रदेश की कुछ विधानसभा क्षेत्रों में मत प्रतिशत बढ़ने के बजाय लगातार घटते जा रहा है। मतदाताओं की इस तरह की बेरूखी मजबूत लोकतंत्र की राहत में किसी गंभीर खतरे से कम नही है।

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सरकार लोकतंत्र कीे मजबूती के लिए हर समय मतदाता जनजागरूकता जैसे कार्यक्रम चलाते रहती है। इसके लिए करोड़ों रुपये बहाए जाते हैं। लेकिन इसके बाद भी लोगों मताधिकार का प्रयोग के लिए आगे नही आ रहे हैं। राजनैतिक विश्लेषक इसे नेताओं व नीति निर्माताओं पर लगातार बढ़ रहे अविश्वास की ओर इशारा कर रहे हैं। हाल यह है कि लोहाघाट विधानसभा में 2007 के चुनावों में 57.59 प्रतिशत मतदान हुआ। 2012 के चुनावों में मत प्रतिशत बढ़ने के बजाय घट गया। मत प्रतिशत केवल 56.48 रहा। ऐसा ही हाल चम्पावत विधानसभा व पहाड़ की कुछ अन्य विधानसभा क्षेत्र का है। जहां मत प्रतिशत में कोई ज्यादा बढ़ोत्तरी नही हुई।

उत्तराखंड को राज्य बने 16 साल हो गए है। इस दौरान राज्य तीन विधानसभा चुनाव देख चुका है। लेकिन अभी भी करीब आधी आबादी इस लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी नही कर रही हैं। जो की मजबूत लोकतंत्र के लिए गंभीर संकट की ओर इशारा कर रहा है। प्रदेश में 70 विधानसभा क्षेत्र हैं। 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में 54.34 प्रतिशत, 2007 में 59.45 प्रतिशत, 20012 के चुनावों में 66.17 प्रतिशत रहा।

मत प्रतिशत बढ़ाना चुनौती

चुनाव आयोग मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चला रहा है। उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती मत प्रतिशत बढ़ाना नही है बल्कि बीते 2012 के चुनावों में हुए मत प्रतिशत तक मतदान कराना है। 2012 के विधानसभा चुनावों में 66.17 प्रतिशत मत पड़े थे।

पढ़े लिखे भी मतदान से दूर

उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता है। यहां की कुल साक्षरता 78.8 प्रतिशत हैं। कुल जनसंख्या का 87.4 प्रतिशत पुरूष व 70 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं। इसका मतलब यह है कि अभी भी लाखों साक्षर नागरिक भी मताधिकार का प्रयोग नही कर रहे हैं।

- राजनेताओं पर बढ़ते अविश्वास की ओर यह संकेत है। लोगों को अब चुनावों में विश्वास नही रहा। उन्हें लगने लगा है कि नेता अपने स्वार्थ के लिए चुनाव लड़ते है। जीतने के बाद आम मतदाताओं को पांच साल के लिए छोड़ दिया जाता है। किसी का भला होता है तो वह है चंद ठेकेदार।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. रमेश बिष्ट

वर्ष विधानसभा वोट प्रतिशत

2002 लोहाघाट 34121 51.51

चम्पावत 38848 54.70

2007 लोहाघाट 42474 57.59

चम्पावत 54648 65.39

2012 लोहाघाट 51149 56.48

चम्पावत 49802 66.20

वर्ष कुल मतदाता मतदान प्रतिशत

2002 5270375 2863776 54.34

2007 5985302 3558043 59.45

2012 6377330 4219694 66.17

प्रदेश की कुल साक्षरता दर- 78.8 प्रतिशत


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