घंटों हवा में अटकी रही दंपती की 'सांसें'
जागरण संवाददाता, चम्पावत : ट्राली में खराबी आने से एक दंपती घंटों तक हवा में लटका रहा। उफान पर बह रह
जागरण संवाददाता, चम्पावत : ट्राली में खराबी आने से एक दंपती घंटों तक हवा में लटका रहा। उफान पर बह रही लधिया नदी के ऊपर ट्राली रूक जाने से तेज चलने वाली उनकी सांसे भी हवा में ही अटकी रही। इस दौरान वे बेबश ग्रामीणों ने किसी तरह गड़बड़ी को ठीक कर दंपति को सुरक्षित बचाया।
चल्थी की ओर से ग्राम फुरकीझाला, आमखेत व बालीपीपल गांव जाने के लिए लधिया नदी को पार करना होता है। जाड़ों व गर्मियों में नदी में पानी कम होता है तो लोग उसे आसानी से पार कर लेते हैं, लेकिन बरसात में करीब चार महीने लधिया नदी उफान पर रहती है। इस वजह से उन्हें चल्थी या टनकपुर जाने के लिए सल्ली से धौन होते हुए जाना होता था। इसमें वक्त बहुत लगता था। ग्रामीणों की मांग पर सरकार ने वर्ष 2012 में उपराकोट से फुरकीझाला के बीच लधिया नदी पर ट्राली लगा दी। तब से क्षेत्र के लोगों के लिए लधिया नदी पार करना आसान हो गया है। ट्राली की देखरेख का जिम्मा गांव के ही गोकुल राम को दिया गया है। वह एक व्यक्ति को पार कराने का 20 रुपये शुल्क लेता है। उसी से वह जनरेटर के लिए डीजल का प्रबंध भी करता है।
बताया जाता है कि दो दिन पहले खिरद्वारी गांव का बंता व उसकी पत्नी गेहूं पिसवाने के लिए फुरकीझाला जा रहे थे। दिन में करीब एक बजे जब वह बीच नदी में थे, अचानक जनरेटर में खराबी आ गई और ट्राली हवा में लटक गई। इस पर दंपती के साथ ही ग्रामीण सकते में आ गए। घंटों की मशक्कत के बाद किसी तरह जनरेटर को ठीक कर दंपति को सुरक्षित उतारा गया। इस बीच दंपती की सांसें भी हवा में लटकी रही। आपरेटर गोकुल राम ने बताया कि जनरेटर की बैटरी डिस्चार्ज होने के वजह से वह स्टार्ट नहीं हो सका। गांव के ही किसी व्यक्ति की सौर उर्जा की बैट्री निकाल कर किसी तरह जनरेटर को चालू किया जा सका।
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मेंटीनेंस के अभाव में जर्जर हो रही ट्राली
चम्पावत : ट्राली आपरेटर गोकुल राम ने बताया कि मेंटीनेंस के अभाव में ट्राली जर्जर होती जा रही है। करीब दो साल पहले कुछ लोग आए थे। वह तारों कसने के साथ कुछ और काम कर गए थे। तब से किसी ने ट्राली की सुध नहीं ली। चार लोगों की क्षमता वाली ट्राली में एक बार में केवल दो को ही बैठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ट्राली संचालन से डीजल का ही खर्चा नहीं निकल पाता है। ग्रामीणों की सुविधा के लिए वो किसी तरह उसे चला रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बरसात के चार महीने में या तो उसे डीजल उपलब्ध कराया जा फिर उसे मानदेय दिया जाए।