25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किए चमू देवता के दर्शन
लोहाघाट : नेपाल सीमा से लगे गुमदेश क्षेत्र के प्रसिद्ध चैतोला मेले में रविवार को गाजे बाजे व गगनभेदी
लोहाघाट : नेपाल सीमा से लगे गुमदेश क्षेत्र के प्रसिद्ध चैतोला मेले में रविवार को गाजे बाजे व गगनभेदी जयकारे के साथ चमू देवता की रथ यात्रा निकाली गई। इससे पूर्व विभिन्न गांवों से परंपरागत परिधान व आयुधों के साथ निकले जत्थों ने अपने विशिष्ट अंदाज से वातारण को भक्तिमय बना दिया। जत्थों के पीछे चल रही महिलाओं ने चमू देवता की वीर गाथा पर आधारित गीत गाए। मौसम की आंख मिचौली व बूंदा-बांदी के बीच लगभग 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मेले में शिरकत की। रविवार होने के कारण दूर दराज क्षेत्रों से पहुंचे लोगों द्वारा मेले में लगी दुकानों से जमकर खरीददारी की गई।
अपरान्ह 3:20 बजे के करीब पूजा अर्चना के बाद मड़ गांव से चमू देवता के रथ को रस्सों के सहारे मंदिर लाया गया। परंपरा के अनुरूप खुरकुटी नामक स्थान पर पहुंचते ही रथ में विराजमान चमू देवता के धामी जगत सिंह व पुजारी लक्ष्मण सिंह को रथ से उतर कर पांच मीटर की दूरी तक श्रद्धालुओं के कंधे में सवार होना पड़ा। बाद में फिर उन्हें रथ में बैठाकर आगे की यात्रा शुरू की गई। हजारों लोगों ने विषम रास्तों को पार करते हुए रस्सों के सहारे रथ को खींचा गया। जिसमें युवाओं, बुजुर्गो, बच्चों का उत्साह देखने लायक था। रथ के पीछे महिलाओं द्वारा चमू देव की भक्ति व लाटा तथा भरगाड़ा की वीरता के गीत गाए जा रहे थे। जो श्रद्धालुओं में जोश भर रहा था। रथ के मंदिर में प्रवेश करते ही आस पास का क्षेत्र खचाखच भर गया तथा गगनभेदी जयकारे से वातावरण गुंजायमान हो गया। रथ में सवार धामी व पुजारी ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। मेले में चंपावत, पिथौरागढ़, टनकपुर, नैनीताल, हल्द्वानी, लोहाघाट व नेपाल से भी श्रद्धालु पहुंचे हुए थे। मौसम की आंख मिचौली के बावजूद भारी भीड़ के चलते यहां पहुंचे व्यवसायियों की भी जमकर बिक्री हुई। देर शाम तक चमू देवता के दर्शनों के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी हुई थी। मेले को शांतिपूर्वक संपन्न कराने में पीएसी व पुलिस जवानों के साथ स्थानीय युवाओं ने महत्वपूर्ण सहयोग किया।