उम्र 17 साल पर हाल बेहाल
चम्पावत : 15 सितंबर 1997 को व्यापक जन आंदोलन के बाद यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जिले का तोहफा दिया। सोमवार को इसकी उम्र 17 साल हो जाएगी। लेकिन सुनियोजित विकास अभी भी दूर की कौड़ी बना है। जिले में 611 तोक अभी भी अंधेरे में हैं, 517 तोकों के वाशिंदों को गधेरों के पानी से प्यास बुझानी पड़ रही है। स्वास्थ्य सुविधाएं तो राम भरोसे ही हैं। जबकि अभी तक इस जनपद में 16 डीएम बदले जा चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि चम्पावत जनपद का गठन ऐसे समय में हुआ था, जब यहां विकास की तमाम संभावनाएं मौजूद थी। राज्य गठन के बाद इसके तेजी से विकसित होने की उम्मीद जगी। लेकिन अब तक जनपद उन विकास के मानदंडों को पूरा नहीं कर पाया है, जो अन्य जनपद एक दशक में कर चुके हैं। हालांकि इस जिले में विकास के लिए धन की कोई कमी नहीं रही। जिला योजना, राज्य योजना, केंद्र पोषित तथा वाह्य सहायतित योजनाओं के अलावा समविकास योजना, बीआरजीएफ सहित तमाम योजनाएं संचालित हुई। जिसमें करोड़ों रुपए विकास के मद में आए लेकिन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के घालमेल से उनमें से अधिकांश धन तो केवल कागजों में सिमट कर रह गया।
फलस्वरूप अब भी जनपद विकास के कई मामलों में बेहद पिछड़ा हुआ है। बिजली, पानी, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याओं के लिए लोग सड़कों पर उतरने को विवश हैं। 611 तोकों में अब भी रोशनी की दरकार है। जबकि 517 तोक शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं। जनपद में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। नगरीय क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा के चलते लोग निजी चिकित्सकों से इलाज करा रहे हैं, लेकिन तल्लादेश, गुमदेश, पाटी, बाराकोट जैसे कई इलाके तो झाड़ फूंक और नीम हकीमों के रहमोकरम पर निर्भर हैं। जबकि इस जनपद में प्रशासनिक स्तर पर 16 डीएम आ चुके हैं। लेकिन किसी जिलाधिकारी के जनपद के इतिहास-भूगोल समझने तक उसका तबादला हो जाता है और नए डीएम की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। बहरहाल, जनपद के 17 साल का होने के बाद भी कई विकास योजनाएं मुंह बाएं खड़ी हैं और लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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जिला मुख्यालय के हाल
- बस अड्डा तो दूर स्टेशन तक नहीं
-जिला अस्पताल शुरू, लेकिन सुविधाएं नाममात्र
- सर्किट हाउस के शुरु होने का इंतजार
- मास्टर प्लान की फाइल ठंडे बस्ते में
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विकास के लिए इस वर्ष निर्धारित बजट
- जिला योजना- 43.77 करोड़
- राज्य योजना- 11.06 करोड़
- केंद्र सहायतित- 78.51 करोड़
- वाह्य सहायतित- 4.44 करोड़
कुल -137.78 करोड़