छह साल में भी नहीं बना 400 मीटर रास्ता
चम्पावत : जिला मुख्यालय से सटे ग्राम बाजरीकोट के लोगों के पास गांव से बाहर आने का रास्ता ही नहीं है। गांव के लोग व स्कूली बच्चे किसी तरह नदी पार कर सड़क तक पहुंच रहे हैं। ग्रामीण छह साल से पक्का रास्ता बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अफसर व जनप्रतिनिधि केवल पत्राचार तक सीमित हैं।
ग्राम सेटयूड़ा के समीप एसएसबी कैंप बनने से बाजरीकोट गांव के लोगों का बाजार आने का परंपरागत रास्ता बंद हो गया। अब उन्हें ग्रिफ कैंप होते हुए घूम कर बाजार आना होता है। वह अब एक की बजाय करीब सात किमी दूरी तय करते हैं। लोगों को घटयूड़ा नदी किनारे किनारे जाना पड़ता है। बरसात में लोगों को गांव से बाहर निकलने के लिए और भी दूरी तय करनी पड़ती है। बीमार लोग तो सामान्य दिनों में भी इस रास्ते से नहीं जा सकते हैं। ग्रामीण करीब छह साल से नदी किनारे 400 मीटर कंक्रीट मार्ग व सौ मीटर की पक्की दीवार बनाए जाने की जाने की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों व अफसरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन आज तक रास्ता नहीं बन सका। इस नदी पर करीब चार साल पहले बनाया गया पुल भी गांव वालों के लिए बेकार साबित हो रहा है।
===इनसेट===
उपेक्षा जारी रही तो होगा आंदोलन
फोटो : 25सीएमटीपी 1- पूर्व प्रधान भैरव सिंह भंडारी।
चम्पावत: पूर्व प्रधान भैरव सिंह भंडारी ने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष को पत्र लिख कर दैवीय आपदा मद से रास्ता बनाए जाने की मांग की। जिस पर उन्होंने डीएम को पत्र लिख कर 400 मीटर कंक्रीट मार्ग व सौ मीटर पक्की दीवार दैवीय आपदा मद से बनाए जाने को कहा था, लेकिन छह साल बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। गत वर्ष उन्होंने विधायक हेमेश खर्कवाल के समक्ष यह मांग उठाई। विधायक ने भी डीएम को लिख दिया। बाद में सीडीओ ने बीडीओ को मार्ग व दीवार निर्माण के संबंध में कार्यवाही करने को कहा। गांव वालों का दुर्भाग्य है कि आज तक उनकी किसी ने सुध नहीं ली। भंडारी ने चेतावनी दी है कि अगर जनप्रतिनिधियों व अफसरों ने बाजरीकोट के लोगों की उपेक्षा जारी रखी तो गांववाले सड़क पर उतर कर आंदोलन छेड़ देंगे।