अंतरराष्ट्रीय मत्स्य आखेट आज से
चम्पावत : नेपाल सीमा से लगे सरयू और काली के संगम स्थल पंचेश्वर में गुरुवार, 17 अक्टूबर से पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मत्स्य आखेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इसमें प्रतिभाग करने के लिए देशी-विदेशी एंगुलर पहुंच चुके हैं। सातवीं बार आयोजित हो रही यह प्रतियोगिता 17 से 21 अक्टूबर तक चलेगी।
चम्पावत जनपद के नेपाल सीमा से सटे पंचेश्वर क्षेत्र में बहने वाली काली नदी में बहुतायत मात्रा में गोल्डन महाशीर पाई जाती है। जिसके आखेट के लिए पिछले तीन दशकों से इक्का-दुक्का विदेशी आते थे। लेकिन पिछले एक-दशक से मत्स्य आखेट को लेकर विदेशियों के साथ ही भारतीयों का भी रुझान बढ़ा है। हालांकि इसको बढ़ाने के सरकारी व वन विभाग के प्रयास खास नहीं कहे जा सकते हैं। लेकिन जनपद में कार्य कर रही सामाजिक संस्था दृष्टिकोण ने इस मुहिम को आगे बढ़ाया है। जिससे यहां विदेशी एंगुलरों की तादात बढ़ी है। पिछले छह सालों से अंतरराष्ट्रीय स्तर की मत्स्य आखेट प्रतियोगिता होने से चम्पावत का पंचेश्वर क्षेत्र विश्व के पर्यटन मानचित्र पर उभर कर सामने आया है। वर्ष 2007 में पहली बार दृष्टिकोण संस्था ने इसका आयोजन किया। वैसे इससे पूर्व कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा भी यहां ऐसी प्रतियोगिताएं आयोजित की गई थी। लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाई।
यहां हर वर्ष सैकड़ों देशी व विदेशी सैलानी आकर मत्स्य आखेट करते हैं। जिसके लिए वन विभाग द्वारा बकायदा लाइसेंस शुल्क लिया जाता है और महाशीर संरक्षण समिति को भी रायल्टी दी जाती है। दृष्टिकोण संस्था के चेयरपर्सन एसके दास बताते हैं कि मत्स्य आखेट में गोल्डन महाशीर को पकड़कर फिर उसे नदी में छोड़ दिया जाता है। आखेटक ने कितने वजन की मछली पकड़ी यह परिणाम का मुख्य आधार होता है। सर्वाधिक वजन की मछली पकड़ने वाले एंगुलर को विजेता घोषित किया जाता है।
पिछले छह सालों से हर बार अक्टूबर माह में यह आयोजन हो रहा है। इस वर्ष 17 अक्टूबर से प्रतियोगिता की शुरुआत होगी। इसमें एक विदेशी सहित आठ भारतीय प्रतिभाग करेंगे। प्रतियोगिता की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
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