Move to Jagran APP

सेंट्रल पारिस्थितिकीय तंत्र के संरक्षण से होगा सतत विकास

तकनीकी विकास के इस दौर मे पर्यावरण एवं पारिस्थितिकीय तंत्र से छेड़छाड़ किए बिना ही सतत विकास की प्रक्रिया आगे बढ़ाना होगा।

By Edited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 07:55 PM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 07:00 AM (IST)
सेंट्रल पारिस्थितिकीय तंत्र के संरक्षण से होगा सतत विकास

गोपेश्वर, [जेएनएन]: तकनीकी विकास के इस दौर मे पर्यावरण एवं पारिस्थितिकीय तंत्र से छेड़छाड़ किए बिना ही सतत विकास की प्रक्रिया आगे बढ़ाना होगा। अन्यथा इसके दुष्परिणाम लोगो को भुगतना होगा। यह बात अंतरराष्ट्रीय सेमीनार के दूसरे दिन वक्ताओ ने कही। 'सतत विकास चुनौतियां एवं रणनीति' विषय पर विचार साझा करने के लिए विषय विशेषज्ञ एक मंच पर आए है।

loksabha election banner

जनपद चमोली के गोपेश्वर पीजी कॉलेज मे सेमीनार के दूसरे दिन मूल्यांकन सत्र मे मुख्य वक्ता दून विवि के प्रो. एससी पुरोहित ने कहा कि उलाराखंड मे देश व विश्व की तरह सतत विकास के नाम पर तकनीकी विकास का दौर चल रहा है। जबकि सतत विकास पर्यावरण, समाज, आध्यात्म, संस्कृति एवं पारिस्थितिकीय तंत्र को मद्देनजर रखते हुए ही किया जा सकता है।

पढ़ें:-कांग्रेस और भाजपा ने किया गांवों से छल: पद्मश्री डॉ.अनिल जोशी

उन्होने कहा कि संवेदनशील पर्वत श्रृंखला हिमालय की अनदेखी कर कोई भी भौतिक विकास सतत जारी नही रह सकता है। इसलिए सामाजिक सरोकारो का संरक्षण भी उतना ही जरूरी है। समापन सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय अर्थशास्त्र परिषद के महासचिव डॉ. अनिल कुमार ठाकुर ने कहा कि भारतीय समाज की गौरवशाली आध्यात्मिक, पौराणिक, संयुक्त परिवार की जीवन शैली मे ही छिपा है सतत विकास का मूल मंत्र।

पढ़ें-सरकारों की गलत नीतियों से गांव खाली: डॉ. अनिल जोशी

उन्होने अलग से उलाराखंड अर्थशास्त्र परिषद के गठन की भी घोषणा की। तकनीकी सत्र मे चेन्नई प्रेजीडेसी कॉलेज के प्रो. बीपी चंद्रमोहन ने सतत विकास परिचय एवं सिद्धांत पर अपना मौलिक शोध पत्र प्रस्तुत किया। सेमीनार की संयोजक डॉ. अनुमिता अग्रवाल ने उलाराखंड के सतत विकास मे छात्र-छात्राओ के योगदान पर अपनी बात रखी।

पढ़ें:-पलायन को रोकने के लिए प्रदेश सरकार के पास कोई योजना नहीं: डॉ. अनिल प्रकाश जोशी

अर्थशास्त्री डॉ. असीम करमाकर ने सतत विकास मे पहाड़ी कृषि की भूमिका पर अपना व्याख्यान दिया। इस दौरान शोध छात्र छात्राओ ने विशेषज्ञो से कई प्रश्न पूछे। भारतीय अर्थशास्त्र परिषद ने शोधार्थियो को उनके मौलिक शोध के लिए सम्मानित किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पीएस मखलोगा ने सेमीनार मे सहयोग के लिए भारतीय अर्थशास्त्र परिषद के समस्त कार्यकारिणी को सम्मानित किया।

पढ़ें:-सरकारों को समझना होगा कि महिलाएं हिमालयी राज्य की आत्मा हैं: पद्मश्री अनिल प्रकाश जोशी

कार्यक्रम के समापन अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमो की प्रस्तुति भी दी गई। इस मौके पर डॉ. अर¨वद अवस्थी, डॉ. रचना कुकरेती, डॉ. भारती पांडे, डॉ. गीता शाह, सरिता चौहान, डा.एसएस रावत, मनीष कुकरेती, जगमोहन नेगी, मीडिया को ऑर्डिनेटर दर्शन ¨सह नेगी आदि मौजूद थे।

पढ़ें:-गांवों की बदौलत ही शहर भी रहते हैं जिंदा: पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.