डोलियां कुरुड़ से कैलाश रवाना
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: मां नंदा के जागरों के साथ बुधवार की साय चार बजे सिद्धपीठ कुरुड़ धाम से दशोली व कुरुड़-बधाण की डोलियां कैलाश रवाना हो गई। इस दौरान सैकड़ों महिलाएं बेटी नंदा को विदा करते वक्त अपने आंसू नहीं रोक पाई। महिलाएं व युवतियां मां नंदा को विदा करने के लिए कुरुड़ से एक किलोमीटर आगे तक गई। जहां मां नंदा को कैलाश के लिए विदा किया गया।
श्री नंदा देवी राजजात यात्रा में डोलियों की रवानगी से पहले कुरुड़ मंदिर में चले रहे तीन दिवसीय नंदा देवी मेले का समापन 3:30 बजे हुआ। मेले के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कला मंचों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए। बुधवार को प्रात: से ही सिद्धपीठ कुरुड़ में मां नंदा की डोलियों की पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। तकरीबन पांच हजार लोगों ने दिनभर मां नंदा की पूजा अर्चना की। इस दौरान कुरुड़ में मां नंदा के जयकारों के साथ ही जागरों की भी गूंज सुनाई दे रही थी। स्थानीय गांवों से आई महिलाओं के जागरों से कुरुड़ सिद्धपीठ नंदामय हो गया था। दोपहर में मां नंदा के अवतारी के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं के पश्वा पर देवी-देवता अवतरित हुए। सभी देवी देवताओं ने नंदा देवी राजजात यात्रा की सफल कामना का आशीर्वाद दिया। दशोली की नंदा देवी डोली को लाने के लिए जहां लुंतरा के डोल्यार (डोली उठाने वाले ग्रामीण) पहुंचे थे वहीं कुरुड़ बधाण की डोली लाने के लिए चरबंग के ग्रामीण भी कुरुड़ मंदिर में पहुंचे थे। 3:30 बजे नंदा देवी मेले का समापन होने के बाद यात्रा रवानगी की तैयारी हुई। चार बजे सबसे पहले मंदिर प्रांगण में पूजा अर्चना के लिए रखी गई दशोली की डोली लुंतरा गांव के लिए रवाना हुई। उसके पीछे कुरुड़ बधाण की डोली को भी चरबंग गांव के लिए रवाना किया गया। दशोली की डोली के साथ एक चौसिंग्या खाडू भी रवाना किया गया। साथ ही दोनों डोलियों के साथ 14 से अधिक छंतोलियां भी रवाना हुई। इस अवसर पर पुजारी मंशाराम गौड़, मुंशीचंद्र गौड़, वीरेंद्र थोकदार, घाट के प्रमुख करण सिंह नेगी समेत कई लोग मौजूद थे।