बाइक से जा रहा था गांव, रास्ते में भुला बैठा याददाश्त; इस तरह मिला अपनों से
उत्तराखंड के देहरादून निवासी 75 साल के एक बुजुर्ग बाइक पर जाते-जाते अपनी याददाश्त खो गए। दर-दर भटकने लगे। लेकिन तभी एक करिश्मा हुआ।
गोपेश्वर, [जेएनएन]: उत्तराखंड के देहरादून निवासी 75 साल के एक बुजुर्ग बाइक से गांव की ओर निकल पड़े। लेकिन रास्ते में उनकी याददाश्त चली गई। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं। तभी एक करिश्मा हुआ, जिसने उन्हें उनके घर पहुंचा दिया। जानिए, कैसे।
उत्तराखंड के देहरादून से 75 वर्षीय हरिनंद चमोला बीएसएफ से सेवानिवृत्त हुए थे। हरिचंद्र परिवार के साथ देहरादून में रह रहे थे। एक सप्ताह पूर्व उन्हें अपने गांव की याद आई और वे बिना घरवालों को बताए सुबह ही वाहन पकड़कर चमोली चले आए।
दरअसल, हरिनंद चमोला का गांव चमोली गढ़वाल स्थित कोठली नारायणबगड़ है। तथा नंदप्रयाग से कोठली जाने का रास्ता है।
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लेकिन याददाश्त कमजोर होने की दिक्कत के चलते वे रास्ते में किसी को यह नहीं बता पाए कि आखिर उन्हें जाना कहां है। तभी चमोली से गोपेश्वर पहुंचे हरिनंद जब हल्दापानी के पास से गुजर रहे थे तो हल्दापानी निवासी पुष्कर चौधरी ने परेशान घूम रहे इस हरिनंद से उनकी पूरी बात सुनी।
सोशल मीडिया से ढूंढा हरिनंद का पता
हरिदनंद अपने बारे में कुछ नहीं बता पाए तो पुष्कर चौधरी ने स्थानीय पुलिस की मदद ली और सोशल मीडिया के माध्यम से बीते दिन उनकी तस्वीर प्रसारित की। प्रयास रंग लाए और हरिनंद चमोला की पहचान देहरादून में हो गई।
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पहचान होने के बाद मंगलवार को हरिनंद चमोला के पुत्र संतोष चमोला ने गोपेश्वर आकर पिता को अपने साथ ले गए। पुलिस द्वारा उनके पिता को वृद्ध आश्रम में रखा गया था। थानाध्यक्ष कविंद्र शर्मा ने सारी तहकीकात करने के बाद हरिनंद चमोला को उनके पुत्र के हवाले किया।
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पिता को लेने आए संतोष चमोला का कहना है कि उनके पिता कई दिनों से चमोली स्थित गांव जाने की जिद कर रहे थे। लेकिन गांव पैदल होने व पिता का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण परिवार इसे टाल रहा था।
उनकी याददाश्त कमजोर होने के कारण गांव का नाम तो याद नहीं रहा। लेकिन चमोली में गांव होने का याद रहा और वे देहरादून से चमोली के लिए रवाना हो गए। उन्होंने पिता को ढूंढने में मदद करने वालों का धन्यवाद दिया।
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