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चांद अफजल की कव्वाली पर झूमे लोग

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: व्यापार संघ की पहल पर पहली बार हो रहे गोपेश्वर महोत्सव में भारत के प्रसिद्ध

By Edited By: Published: Fri, 09 Dec 2016 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2016 01:00 AM (IST)
चांद अफजल की कव्वाली पर झूमे लोग

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: व्यापार संघ की पहल पर पहली बार हो रहे गोपेश्वर महोत्सव में भारत के प्रसिद्ध कव्वाल चांद अफजल चांद की कव्वाली पर दर्शक जमकर झूमे। कव्वाल ने ¨हदू-मुस्लिम एकता पर भी जोर दिया।

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गोपेश्वर के पुलिस मैदान में चार दिवसीय गोपेश्वर महोत्सव का शुभारंभ हंस फाउंडेशन की संस्थापक मंगला माता व भोले महाराज ने संयुक्त रूप से किया। मंगला माता ने कहा कि सीमांत क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने के लिए उनकी संस्था आगे आएगी। गोपेश्वर में प्रत्येक माह स्वास्थ्य कैंप लगाया जाएगा। गंभीर मरीजों को बड़े चिकित्सालयों में संस्था अपने खर्च पर इलाज कराएगी। राज्य के कृषि मंत्री राजेंद्र ¨सह भंडारी ने हंस फाउंडेशन के माध्यम से जिला मुख्यालय गोपेश्वर में अस्पताल का संचालन करने की मांग की। कहा कि चमोली जिले में हंस फाउंडेशन कई गरीबों की मदद कर चुका है। विद्यालयी शिक्षा से वंचित बच्चों को विद्यालयों से जोड़ने, उन्हें आर्थिक सहायता देकर वस्त्र, पाठ्य पुस्तकें देने, बीमारों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए भी हंस फाउंडेशन लंबे समय से बेहतर कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम में प्रसिद्ध कव्वाल चांद अफजल चांद ने गणेश वंदना के साथ अपने कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। उन्होंने देश की सरहदों पर तैनात फौजियों, भगवान शिव शंकर, कैलाश हिमालय और गंगा को कव्वाली का विषय बनाया। राजकीय बालिका इंटर कालेज की छात्राओं ने भी देश की अनेकता में एकता पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। इस मौके पर व्यापार संघ ने भोले महाराज व मंगला माता को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

दिए पांच सौ कंबल

हंस फाउंडेशन की ओर से इस मौके पर बेसहारा व गरीब लोगों को 500 कंबल, 250 कान की मशीन, 80 ह्वील चेयर भी वितरित की गई। इस अवसर पर 250 लोगों ने हंस फाउंडेशन को आर्थिक सहायता के लिए आवेदन भी दिए।

अमृता को दिया श्रेय

अपने संबोधन में कृषि मंत्री आध्यात्मिक गुरु भोले महाराज व मंगला माता के गुणगान में इतने तल्लीन हो गए कि उनके कार्यों की सराहना करते करते वह सारी उपलब्धियों का श्रेय माता अमृता को दे गए। हालांकि जब उन्हें याद आया कि यह माता अमृता नहीं मंगला हैं, तो कहा कि पहले हमारी माता अमृता थी, इसलिए उन्हीं का नाम बार-बार आ रहा है। यह परोपकार का कार्य माता अमृता नहीं बल्कि माता मंगला कर रही हैं।


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