ग्रामीणों की राह में एडीबी का रोड़ा
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: निजमूला घाटी के एक दर्जन से अधिक गांवों की बेहतर यातायात सुविधा की मंशा पर
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर:
निजमूला घाटी के एक दर्जन से अधिक गांवों की बेहतर यातायात सुविधा की मंशा पर एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) पानी फेर रहा है। निजमूला बिरही सड़क के चौड़ीकरण कार्य पर एडीबी के कुंडली मारने से ग्रामीण जान जोखिम में डालकर गांवों तक पहुंच रहे हैं।
निजमूला घाटी का अपना इतिहास है। 1971-72 में उत्तराखंड की सबसे बड़ी बेलाकुची की बाढ़ के दौरान जब संचार सेवा का अधिकतर क्षेत्रों से किसी प्रकार का रिश्ता नहीं था। तब इसी निजमूला घाटी में अंग्रेजों ने टेलीफोन सेवा चालू की थी। इतना ही नहीं अस्सी के दशक में जब अधिकतर गांव यातायात सुविधा से महरूम थे, तब इस घाटी को बिरही निजमूला सड़क सुविधा से जोड़ दिया गया था। लेकिन, पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस घाटी के लोग वर्षो पुरानी सड़क पर जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। दरअसल, 2013 की आपदा के दौरान यह सड़क कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गई थी। स्थानीय ग्रामीणों की मांग पर सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक को सड़क सुधारीकरण व चौड़ीकरण की जिम्मेदारी सौंपी। इसके लिए बाकायदा एडीबी के खातों में 20 लाख से अधिक की राशि भी डाली गई। मगर विभाग ने आज तक इस सड़क का चौड़ीकरण का कार्य शुरू नहीं किया है। ब्यारा गांव निवासी रणजीत सिंह नेगी का कहना है कि कई बार एडीबी व प्रशासन से पत्राचार करने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं, एशियन डेवलपमेंट गौचर के अधिशासी अभियंता एस गुप्ता का कहना है कि सड़क चौड़ीकरण व सुधारीकरण कार्य के लिए विभाग जल्द कार्रवाई शुरू करेगा।