चनाप में है एक और फूलों की घाटी
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले में विश्वप्रसिद्ध फूलों की घाटी के अलावा एक और फूलों की घाटी है।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले में विश्वप्रसिद्ध फूलों की घाटी के अलावा एक और फूलों की घाटी है। यहां पांच किमी क्षेत्र में भांति-भांति के फूल खिले रहते हैं।
भारत-चीन सीमा पर स्थित जोशीमठ विकासखंड में चनाप वैली में। रंग बिरंगे फूल खिलते हैं। पर्यटकों की यहां आमद तो है,लेकिन प्रशासन व वन विभाग की उदासीनता के चलते अभी यह पर्यटन के नक्शे में स्थान नहीं बना पाया है।
चनाप घाटी जाने के लिए जोशीमठ विकासखंड मुख्यालय से दो रास्ते जाते हैं। एक रास्ते से चनाप घाटी जाकर दूसरे रास्ते से वापस लौटा जा सकता है। जोशीमठ से 14 किमी सड़क मार्ग से चांई गांव तक वाहन से जाने के बाद यहां से पैदल ही चनाप घाटी के लिए यात्रा की जा सकती है। चांई से थैंग होते हुए 14 किमी की पैदल यात्रा कर चनाप वैली में पहुंचा जा सकता है। चनाप वैली में पांच किमी क्षेत्र में मखमली बुग्यालों के बीच रंग बिरंगे फूल पर्यटकों को दीवाना बना देती है। चनाप वैली पहुंचने के लिए ट्रैकिंग रूट भी है। जो खीरों घाटी से माकपाटा होते हुए चनाप पहुंचा जा सकता है। यह 40 किमी लंबा ट्रैक है। खास तौर पर बंगाली पर्यटकों की सह पसंददीदा वैली है। तीन साल में 200 से अधिक बंगाली व विदेशी पर्यटक यहां पहुंचकर फूलों का दीदार कर चुके हैं। चनाप वैली पर्यटन विकास पर लंबे समय से कार्य कर रहे थैंग निवासी दिलवर सिंह फस्र्वाण का कहना है कि इस वैली को फ्रेंक स्माइथ का इंतजार है। उन्होंने कहा कि वे एक पुस्तक भी चनाप बुग्याल सोना शिखर थैंग एक परिचय लिख चुके हैं।
प्रस्ताव नहीं आए लौटकर
-नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने चनाप वैली की सुंदरता को देखते हुए यहां के विकास रास्ता निर्माण सहित अन्य सुविधाओं के लिए 2013 से प्रतिवर्ष पर्यटन विभाग व विभागीय योजनाओं में कार्ययोजनाएं बनाकर प्रस्तावित की गई। लेकिन कहीं से भी कार्ययोजना स्वीकृत होकर नहीं आई।
ये भी है सुविधा
चनाप वैली में जिस प्रकार प्रकृति मेहरबान है उसी प्रकार दूरसंचार सेवाएं भी यहां पहले से ही मौजूद है। जोशीमठ के औली में लगे टावरों से चनाप वैली में बीएसएनएल, एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया मोबाइल सेवाएं हर जगह मौजूद हैं।
2014 से विभाग ने चनाप वैली के पर्यटन विकास की योजनाएं प्रस्तावित की गई है। पर्यटन विभाग को भी कार्ययोजना भेजी गई, लेकिन कहीं से भी स्वीकृत होकर नहीं आई।
सर्वेश कुमार दुबे, एसडीओ नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ