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संजीवनी शिखर की राह में बर्फ का रोड़ा

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: शीतकालीन यात्रा को लेकर जहां यात्रियों के आने की उम्मीदों से स्थानीय लोगों क

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 01:05 AM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 01:05 AM (IST)
संजीवनी शिखर की राह में बर्फ का रोड़ा

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: शीतकालीन यात्रा को लेकर जहां यात्रियों के आने की उम्मीदों से स्थानीय लोगों को पंख लगे हैं, वहीं प्रशासन मूलभूत सुविधाओं को लेकर फिलहाल आधी अधूरी तैयारियों के बीच तमाशबीन की भूमिका में है। औली के संजीवनी शिखर की बात करें तो शीतकाल में श्रद्धालुओं को इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बर्फ राह में रोड़ा बन सकती है।

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औली में संजीवनी शिखर हनुमान भक्तों के लिए किसी धाम से कम नहीं है। यहां प्रतिवर्ष यात्रियों सहित पर्यटक भी हनुमान की पूजा करने आते रहे हैं। इस वर्ष शीतकाल में बदरीनाथ धाम की यात्रा शीतकालीन पूजा स्थल पांडुकेश्वर तक यात्रियों को लाने के सरकारी प्रयासों से औली के संजीवनी शिखर तक भी यात्रियों के पहुंचने की उम्मीदों से लोग उत्साहित हैं, लेकिन जोशीमठ औली मोटर मार्ग के खस्ताहाल होने व बर्फ हटाने के पुख्ता इंतजाम न होना रोड़ा बन सकता है। जोशीमठ से 14 किमी की दूरी सड़क मार्ग से तय कर औली पहुंचा जा सकता है, लेकिन दिसंबर से फरवरी तक भारी बर्फबारी में औली का मोटर मार्ग कवाण बैंड के पास बंद होता रहा है। लोक निर्माण विभाग के पास पहले भी बर्फ हटाने के पुख्ता इंतजाम नहीं थे और अभी भी स्नो कटर मशीन या अन्य उपकरण उपलब्ध नहीं हैं और न ही इन संसाधनों को जुटाने के लिए प्रशासन स्तर पर कोई प्रयास हो रहे हैं। साफ है कि शीतकाल में बर्फबारी यात्रियों को मुश्किलों में डाल सकती है।

ये है मान्यता

औली के संजीवनी शिखर में हनुमान का मंदिर है। यह मंदिर पहले पत्थरों से निर्मित था। बाद में इसका जीर्णोद्वार पंडित फतेराम सकलानी ने कराया। इस मंदिर को भव्य रूप असम के पूर्व चीफ सेक्रेट्री बीएस जाफा व मसूरी आइएएस अकादमी के एक पूर्व निदेशक के प्रयासों से दिया गया। मान्यता है कि जब लंका में युद्ध के दौरान लक्ष्मण को शक्ति लगी तो हनुमान सुशैन वैद्य के बताए हुए मार्ग पर चलकर संजीवनी लेने उत्तराखंड आए थे। यहां फैली पर्वत श्रृंखलाओं को देखकर हनुमान जी भी विचलित हो गए थे। उन्होंने औली के संजीवनी शिखर में रुककर द्रोणागिरी में जगमगाती संजीवनी बूटी देखी थी। तभी से इस स्थान को संजीवनी शिखर के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि हनुमान की पूजा करने पर यहां साक्षात हनुमान के दर्शनों की अनुभूति होती है।

ऐसे पहुंचें

-निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट, निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश से जोशीमठ तक राष्ट्रीय राजमार्ग वाहन की सुविधा उपलब्ध है। जोशीमठ से 14 किमी सड़क मार्ग से औली के संजीवनी शिखर हनुमान मंदिर में पहुंचा जा सकता है।

रोपवे से भी है आने की सुविधा

संजीवन शिखर तक रोपवे से भी आने की सुविधा है। जोशीमठ से रोपवे से आठ नंबर टावर पर उतरकर यहां से चेयर लिफ्ट से संजीवनी शिखर मंदिर तक आसानी से आ-जा सकते हैं, लेकिन 2011 से औली का रोपवे बंद है।

ये है व्यवस्था

-औली में ठहरने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। यहां पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के साथ साथ स्थानीय लोगों के वातानुकूलित होटल रिजार्ट हैं। औली में शीतकाल में 500 से छह हजार तक कमरा उपलब्ध आसानी से होता है। यहां पर प्रतिदिन दो हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। हालांकि श्रद्धालु जोशीमठ में भी ठहरकर दर्शनों के लिए आकर वापस जा सकता है।

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औली तक रोपवे को सुचारु करने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। शीतकाल में औली तक रोपवे से सफर सुनिश्चित कर लिया जाएगा। प्रशासन को बर्फ हटाने के लिए स्नो कटर मशीन सहित अन्य संसाधनों को तैयार रखना चाहिए।

राजेंद्र भंडारी, विधायक बदरीनाथ

बर्फ से सड़क मार्ग बार बार क्षतिग्रस्त होता रहा है। भारी बर्फबारी में औली तक सड़क अवरुद्ध भी होती है, लेकिन लोनिवि जेसीबी से बर्फ हटाकर सड़क खोलता रही है। हमारे पास स्नो कटर मशीन उपलब्ध नहीं है।

वीरेंद्र जौहरी, अधिशासी अभियंता लोनिवि गोपेश्वर


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