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शीतकालीन यात्रा में बर्फबारी का रोड़ा

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: सरकार भले ही चारधाम यात्रा शीतकाल में भी जारी रखने का दावा कर रही हो लेकिन

By Edited By: Published: Tue, 28 Oct 2014 01:02 AM (IST)Updated: Tue, 28 Oct 2014 01:02 AM (IST)
शीतकालीन यात्रा में बर्फबारी का रोड़ा

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर:

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सरकार भले ही चारधाम यात्रा शीतकाल में भी जारी रखने का दावा कर रही हो लेकिन यात्रा मार्ग पर होने वाली बर्फबारी यात्रियों की राह में रोड़ा बन सकती है। बदरीनाथ यात्रा की बात करें तो शीतकाल में पांडुकेश्वर तक यात्रा मार्ग को सुचारु रखना सबसे बड़ी समस्या है। इसके लिए न केवल संसाधनों की कमी है बल्कि शीतकाल में बर्फबारी से होने वाली दिक्कतों से निपटना भी प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा।

नि:संदेह शीतकाल में यहां के धार्मिक स्थलों की शीतकालीन पूजास्थलों पर होने वाली पूजा से आम यात्रियों को जोड़ने की पहल ठप पड़े यात्रा व्यवसाय को नई ऊर्जा देगा। बदरीनाथ धाम की बात करें तो शीतकाल में श्री बदरीनाथ जी की पूजा पांडुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में विराजमान उद्धव जी की पूजा के माध्यम से की जाती है। मान्यता है कि शीतकाल में भगवान नारायण की पूजा यहीं से नर कर सकते हैं। इस पूजा का प्रतिफल भी उतना ही मिलता है, जितना फल भगवान बदरी विशाल के मंदिर में जाकर पूजा करने से मिलता है। शीतकाल में पांडुकेश्वर और आसपास के क्षेत्र में बर्फबारी के चलते सड़क बाधित होने की दिक्कतें आती रही हैं। लिहाजा प्रशासन को सड़क सुचारु रखने के लिए न केवल संसाधनों को तैयार रखना होगा बल्कि बर्फ हटाने के लिए भी स्नो कटर सहित अन्य जरूरी उपकरणों से सुसज्जित होना पड़ेगा। हाइवे पर गोविंदघाट के पास, पैनी बैंड, हेलंग, बलदौड़ा, छिनका, पटमिला सहित दो दर्जन जगहों पर डामरीकरण कर गड्ढों को भरकर सड़क को ठीक रखना होगा।

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ये है दूरी

-ऋषिकेश से पांडुकेश्वर की दूरी 274 किलोमीटर

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ये हैं दार्शनिक स्थल

-पांडुकेश्वर की पांडव चौकी में वह पहाड़ पांडव चौकी के रूप में आज भी मौजूद है, जिस पर पांडवों ने पाशे खेले थे। इस पर्वत में पत्थरों पर पाशों के निशान हैं।

-बदरीनाथ धाम के रक्षक घंटाकर्ण जी का मंदिर भी पांडुकेश्वर में है। जहां वर्षभर घंटाकर्ण के दर्शन होते हैं।

-भगवान बदरी विशाल के गर्भगृह की शोभा बढ़ाने वाले तथा भगवान बदरी विशाल को उधार धन देने वाले कुबेर जी का मंदिर भी पांडुकेश्वर में अलग से है। जिस कुबेर जी की मूर्ति के बदरीनाथ में दूर से ही दर्शन होते हैं, उसकी साक्षात पूजा यहां श्रद्धालु स्वयं कर सकते हैं।

-पंचबदरी में एक पुरातत्व महत्व के योगध्यान बदरी मंदिर के बाहर शिवलिंग विराजमान है। वहीं मंदिर के अंदर योगध्यान बदरी की अष्टधातु की पौराणिक मूर्ति विराजमान है।

-योगध्यान बदरी मंदिर से सटे वासुदेव जी का मंदिर भी है। जहां वासुदेव जी अष्टधातु की पौराणिक बड़ी मूर्ति विद्यमान है।

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बर्फबारी का भी ले सकते हैं आनंद

-पांडुकेश्वर में शीतकाल में दिसंबर, जनवरी, फरवरी तक बर्फबारी होती है। बर्फबारी के बाद इस गांव की छटा ही कुछ और होती है। यात्री यहां यात्रा के साथ-साथ बर्फबारी का भी आनंद ले सकते हैं।

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ये है ठहरने की व्यवस्था

-पांडुकेश्वर व गोविंदघाट में होटल व धर्मशालाओं में प्रतिदिन पांच हजार से अधिक लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। यात्रा से चमोली जिले के गौचर, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली, पीपलकोटी, जोशीमठ आदि यात्रा मार्ग के नगरों, कस्बों को रोजगार मिलेगा।

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क्या कहते हैं अधिकारी

पांडुकेश्वर तक शीतकाल में यात्रा सुचारु रखने के लिए मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। इसके लिए संबंधित विभागों को निर्देशित कर दिया गया है। रहा सवाल शीतकाल में बर्फ पड़ने की स्थिति में हाइवे बंद होने का, बर्फ तो कभी कभार ही पड़ती है। इसके लिए भी इंतजाम किए गए हैं।

एसए मुरुगेशन, जिलाधिकारी, चमोली

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