मधुर धुन के साथ छंतोलियां रवाना
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: श्री नंदा देवी राजजात में शामिल होने के लिए देवी- देवताओं की छंतोलियां व निशाण भी अपने-अपने गांवों से गाजे बाजों के साथ कैलाश के लिए रवाना हो गए हैं।
दशोली विकासखंड के हिंडोली दशमद्वार की डोली को कंडारा गांव से ग्रामीणों ने विदा किया। यहां पर डोली की पूजा अर्चना की गई। इस दौरान ग्रामीण महिलाओं के जागरों से पूरा कंडारा क्षेत्र नंदामय हो गया। कंडारा से विदाई लेने के बाद मां नंदा की डोली तेफना, बांतोली समेत अन्य गांवों में भक्तों को आशीर्वाद देने के बाद रात्रि विश्राम के लिए नंदप्रयाग पहुंची। यहां पर पहले से मौजूद सैकड़ों लोगों ने दशमद्वार की नंदा की पूजा अर्चना कर स्वागत किया।
ठेली गांव के लाटू देवता की छंतोली भी गांवों के भ्रमण पर निकल गई है। यह डोली विभिन्न गांवों का भ्रमण कर भक्तों को आशीर्वाद देते राजजात के पड़ाव वाण में अन्य डोलियों व छंतोलियों से मिलेगी। यहीं से लाटू देवता की छंतोली होमकुंड के लिए प्रस्थान करेगी। फस्र्वाण फाट के हरमनी, लासी, मजोठी, लस्यारी, सेमडुंग्रा, पोल गांवों की छंतोलियां भी अपने अपने गांवों में पूजा अर्चना के बाद राजजात यात्रा के लिए निकल पड़ी है। फस्र्वाण फाट की डोलियों की बदरीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी ने भी पूजा अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की।
जोशीमठ की लाता नंदा, नंदा देवी सुनूल, रविग्राम की दुर्गा, थैंग की नंदा देवी की डोलियां व छंतोलियां भी गांवों के भ्रमण के बाद कैलाश के लिए रवाना हो गई हैं। लाता गांव की नंदा देवी शनिवार को सलूड़ गांव से सेमकुड़ा पहुंची। सलूड़ से सुबह पूजा अर्चना के बाद डोली को ग्रामीणों ने रवाना किया। रास्ते के गांवों में भक्तों को आशीर्वाद देने के बाद डोली का सेमकुड़ा में भव्य स्वागत किया। डोली के साथ जा रही जनदेश संस्था ने मां नंदा की परंपरा को बचाने के अलावा बेटी बचाने का भी संदेश यात्रियों व आम लोगों को दिया जा रहा है। कर्णप्रयाग विकासखंड के तेफना गांव के थोकदार वीरेंद्र सिंह ने केदारू देवता को थोकदारों की छंतोली देकर कैलाश के लिए रवाना किया। यह छंतोली केदारू देवता के साथ ही विभिन्न पड़ावों को पार कर कैलाश पहुंचेगी।