अब चतुर्थ केदार की यात्रा भी दुष्कर
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: श्री बदरीनाथ व हेमकुंड साहिब के बाद अब शिव के धाम चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की यात्रा भी दुष्कर हो गई है। रुद्रनाथ पैदल मार्ग पर आवाजाही के लिए सगर गांव के निकट पुलना गदेरे पर यात्रियों की आवाजाही के लिए बनाए गए एकमात्र पुल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। श्रद्धालु जान जोखिम में डालकर इसी पुल से आवाजाही कर रहे हैं। वन विभाग भी लंबे समय से बजट के इंतजार में पुल की मरम्मत नहीं कर पा रहा है।
चतुर्थ केदार रुद्रनाथ भारतवर्ष में अकेला ऐसा धाम है। जहां भगवान शिव के मुख भाग के दर्शन होते हैं। रुद्रनाथ के बाद नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में ही भगवान के मुख के दुर्लभ दर्शन किए जा सकते हैं। प्रतिवर्ष रुद्रनाथ भगवान के दर्शनों के लिए देशी के अलावा विदेशी श्रद्धालु भी यहां पहुंचते हैं। विशेषकर सावन में भगवान शिव के इस धाम में जलाभिषेक व पूजा से पुण्य प्राप्त होता है, लेकिन सरकार अभी तक मंदिर तक पहुंचने की राह आसान नहीं बना पाई है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सगर रुद्रनाथ पैदल मार्ग पर सगर गांव के निकट पुलना गदेरे पर बना एकमात्र पुल की मरम्मत के लिए दो साल से सरकार धनराशि आवंटित नहीं कर पाई है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत आने वाले इस पुल की मरम्मत के लिए विभाग कई बार प्रस्ताव भेज चुका है, लेकिन बजट आवंटित न होने से पुल निर्माण नहीं हो पा रहा है। श्रद्धालु इस पुल पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। स्थानीय निवासी मनोज रावत का कहना है कि कई बार पुल मरम्मत के लिए गुहार लगाने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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सगर-रुद्रनाथ पैदल मार्ग पर क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। अभी तक धनराशि आवंटित न होने से पुल निर्माण नहीं हो पा रहा है।
आकाश कुमार वर्मा, डीएफओ केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग गोपेश्वर, चमोली
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