शर्त ने छीना पीडि़तों का निवाला
जागरण प्रतिनिधि, गोपेश्वर: आपदा में पीड़ितों की मदद के लिए बनने वाले नियम ही कभी पीड़ितों के लिए मुसीबत बन जाते हैं। ऐसा ही चमोली जिले में आपदा पीड़ितों के साथ कैबिनेट के फैसले के बाद हुआ है। दरअसल एक माह के नि:शुल्क राशन को लेकर कैबिनेट के फैसले में सड़क अवरुद्ध होने की जो शर्त लगाई गई है उससे आपदा पीडि़त 180 गांवों में से सिर्फ 51 को ही नि:शुल्क खाद्यान्न का लाभ मिल पा रहा है। जबकि अधिकतर गांव में सड़क सुचारु तो है परंतु पैदल मार्ग व पुलों का कहीं अता पता नहीं है। प्रशासन भी सरकारी नियम के आगे विवश है।
आपदा पीड़ितों को एक माह का नि:शुल्क राशन देने का निर्णय सरकार ने कैबिनेट बैठक में लिया, लेकिन इसमें सड़क अवरुद्ध होने की जो शर्त रखी गई है वह जिले के 129 गांवों में आपदा पीड़ितों तक खाद्यान्न मदद रोकने का कारण बनी है। जिले में लगभग 129 गांवों के दो हजार आपदा पीडि़तों तक नि:शुल्क खाद्यान्न सिर्फ इसलिए नही मिल पा रहा है क्योंकि उनके गांव में सड़क सेवा बहाल हो गई है। जबकि इनमें से अधिकतर ग्रामीण या तो अपना घर गंवा चुके हैं या फिर घर रहने लायक नहीं है। लिहाजा अन्यत्र शरण लिए हुए हैं। अधिकतर गांवों में पैदल रास्ते चलने लायक नहीं हैं। जिला प्रशासन ने फिलहाल खाद्यान्न को लेकर जो खाका तैयार किया है उसमें 51 गांव ही सड़क मार्ग से वंचित हैं। लिहाजा इन 51 गांवों की छ: हजार लगभग जनसंख्या को ही नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराने की कार्यवाही की जा रही है। साफ है कि सरकारी मदद में भी सड़क सुविधा सुचारु होने के पेंच ने आपदा पीड़ितों के मुंह से निवाला छीनने का काम किया है।
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सड़क सेवा बाधित होने वाले गांवों के आपदा पीड़ितों को ही नि:शुल्क राशन मिलना है। जिले में ऐसे 51 गांव चिह्नित कर दिए गए हैं। शेष आपदा पीड़ित गांवों के पीड़ितों को राशन नियम के अनुसार उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है।
एसए मुरुगेशन, जिलाधिकारी चमोली
मेरा विकासखंड घाट मुख्यालय पर मकान भूस्खलन से दबकर ध्वस्त हो गया है। हम दूसरी जगह शरण लिए हुए हैं, लेकिन सड़क सुविधा सुचारु होने के चलते हमें खाद्यान्न योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है।
एसएस कठैत, निवासी ग्राम जाखणी
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