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नाट्य महोत्सव में 'प्रतिध्वनि' ने जगाई शोषण के खिलाफ अलख

रविवार को नाट्य महोत्सव के अंतिम दिन फोर सोसाइटी रामनगर के संजय रिखाड़ी निर्देशित 'प्रतिध्वनि' को पहला स्‍थान मिला।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 04 Dec 2016 07:45 PM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2016 03:00 AM (IST)

द्वाराहाट, [जेएनएन]: उत्तराखंड में रंगमंच के सौ वर्ष पूरे होने पर नाट्य महोत्सव श्रृंखला में फोर सोसाइटी रामनगर के संजय रिखाड़ी निर्देशित 'प्रतिध्वनि' को पहला, अस्तित्व हल्द्वानी के हरीश पांडे निर्देशित 'दो दु:खों का एक सुख' को दूसरा व प्रयोगांक नैनीताल के उमेश कांडपाल निर्देशित 'चौपुरा महल' को तीसरा स्थान मिला।

रविवार को नाट्य महोत्सव के अंतिम दिन कैलाश कुमार के निर्देशन में भाव राग ताल नाट्य अकादमी पिथौरागढ़ की प्रस्तुति 'भाना गंगनाथ' के जरिये राजा भव्य चंद व रानी प्यूली देवी को मन्नतों के बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति, गंग को जोशीखोला की भाना से प्रेम, भाना को पाने के लिए भगवान शिव से वर लेकर गंगनाथ का जोगधारण करना तथा तप के लिए जोशीखोला क्षेत्र में जाने का मंचन किया गया।

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इसके बाद ख्याति मिलने पर भाना का गंगनाथ से मिलने पर ग्रामीणों द्वारा दोनों की हत्या करने तथा विपदा आने पर ग्रामीणों द्वारा गंगनाथ व भाना की पूजा करने का मंचन किया गया। लक्ष्मी रावत, अनिल, आसीमा निर्णायक रही। समापन मौके पर मनोज चंदोला, चास् तिवारी, पुष्पेश त्रिपाठी, पीसी तिवारी, रमेश पंत, अनिल चौधरी आदि मौजूद रहे।

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