बागबगीचे संवरेंगे तो ही आएगी खुशहाली
संवाद सूत्र, ताड़ीखेत, (रानीखेत) : उद्यान एवं कृषि विभाग के एकीकरण का विरोध थम नहीं रहा। निदेशालय के
संवाद सूत्र, ताड़ीखेत, (रानीखेत) : उद्यान एवं कृषि विभाग के एकीकरण का विरोध थम नहीं रहा। निदेशालय के मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी एसोसिएशन जहां संयुक्त संघर्ष मोर्चा गठित कर आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहा है। वहीं फल एवं सब्जी उत्पादक भी लामबंद हैं। कोसीघाटी के बेतालघाट व द्वाराहाट के साथ ही ताड़ीखेत ब्लॉक के काश्तकार राज्य सरकार की इस नीति से बेहद नाराज हैं। उनका तर्क है कि उद्यान का कृषि में विलय के बजाय सरकार बागवानी विकास से जुड़ी नीतियों को अंतिम गांव तक पहुंचाने का काम करती। निदेशालय के शोध व प्रशिक्षण केंद्रों को पुनर्जीवित कर किसानों को इसका लाभ दिलाया जाता। यह भी चेताया है कि यदि फल व सब्जी उत्पादकों के हितों के खिलाफ निर्णय लिया गया तो सड़क पर उतरेंगे।
--------
पर्वतीय क्षेत्रों के काश्तकार खेती से विमुख होते जा रहे हैं और बागवानी का आय का मुख्य जरिया बनाने में जुटे हैं। उद्यान विभाग से पौधों के अलावा अन्य लाभ भी मिलते हैं। दोनों विभागों का एकीकरण होने से लोगों बागवानी करने वाले किसानों को काफी नुकसान होगा।
- मदन रावत, किसान कोट गांव
-------------
दोनों विभागों का एकीकरण औचित्यहीन है। इससे फल व सब्जी उत्पादक काश्तकारों को काफी नुकसान होगा। सरकार को चाहिए की एकीकरण न कर उद्यान विभाग के ढांचे को और मजबूत किया जाए। जिससे फल उत्पादन की ओर लोगों का स्झान बढ़ सके।
- मोहन पपनै, पपनै कोठार गांव
---------------
कृषि विभाग की कार्यप्रणाली समझ से परे है। बुआई के बाद बीज वितरण करते हैं। ऐसे में लोग खेती करना छोड़ रहे हैं। उद्यान विभाग से समय पर पौंध उपलब्ध कराने के साथ ही तकनीकि जानकारी भी दी जाती है। दोनों विभागों का एकीकरण का पुरजोर विरोध किया जाएगा।
कमला रावत, गैरड़ गांव
-------------
पर्वतीय क्षेत्र में जंगली जानवरों के भय से लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है। बंजर पड़े खेतों में बागवानी कर जीवनयापन करने वालों के हितों पर कुठाराघात होगा। दोनों विभागों का एकीकरण हुआ तो पुरजोर विरोध किया जाएगा।
- दीवान सिंह अधिकारी, थकुलाड़ी गांव
--------------
दोनों विभागों को एक करने से पहले सरकार को पर्वतीय क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी लेनी चाहिए। कृषि कार्य छोड़ या तो लोग पलायन कर रहे हैं या फिर बागवानी को आजीविका का साधन बना रहे हैं। ऐसे में एकीकरण औचित्यहीन है।
- राधिका देवी, पपना गांव