देव की भूमि पर लहलहाई भांग
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : यूं तो पहाड़ पर भांग के तमाम उपयोग हैं, लेकिन आज इसका सबसे ज्यादा उपयोग नश
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : यूं तो पहाड़ पर भांग के तमाम उपयोग हैं, लेकिन आज इसका सबसे ज्यादा उपयोग नशे के तौर पर किया जा रहा है। इससे चरस तैयार कर इसकी विदेशों तक सप्लाई की जा रही है। इस पर नकेल कसने के लिए एसओजी स्थानीय स्तर पर अभियान चला रही। अब नशे के कारोबारी तो पकड़े जा रहे हैं, लेकिन अल्मोड़ा में हर गली और हर नुक्कड़ पर लहलहा रही भांग की खेती पुलिस को खुली चुनौती दे रही है। सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि चरस बनाने के लिए ज्यादा जद्दोजहद नहीं करनी होती। महज दो मिनट में इतनी चरस तैयार हो जाती है।
हम शुरुआत करते है एसएसपी दफ्तर से, जिसके ठीक बगल में एसओजी का दफ्तर भी है। इसी के साथ लगी जमीन पर भांग की खेती से लहलहा रही है। ये आलम तो एसएसपी कार्यालय के बगल में है जो नशे के खिलाफ लगातार मुहिम चला रहा। इसके इतर जब शहर के अन्य स्थानों पर निगाह दौड़ाएंगे तो हर जगह ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा। फिर वह अम्मा भोजनालय हो या फिर सर्किट हाउस के पास खाली पड़ी जमीन। कुल मिलाकर जहां नजर जाएगी वहां भांग की खेती नजर आएगी और ऐसे में चरस का शौक रखने वालों की पौ बारह है।
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फिर भी सब मौन है
शहर की सफाई का जिम्मा नगर पालिका के कंधों पर है, लेकिन नगर पालिका को शहर की गंदगी साफ करने से ही फुर्सत नहीं है। इसके लिए जिलाधिकारी अपने स्तर से अतिरिक्त इंतजाम करा सकते है। हालांकि ऐसा अभी तक हुआ नहीं है। अब पुलिस की बात करें तो नशे के खिलाफ गली-नुक्कड़ से लेकर स्कूल और सड़क तक अभियान चला रही खाकी को भी शहर में जहां-तहां उगी भांग की खेती नजर नहीं आ रही और न ही पुलिस महकमे ने अभी तक किसी विभाग को भांग की खेती साफ करने के लिए पत्र लिखा है।
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बारिश ने दिया जीवन
बारिश से पहले यहां एकाध स्थानों पर ही भांग नजर आती थी, लेकिन लगातार हो रही बरसात ने इस खेती को इतना विस्तार दे दिया है कि यह अब हर तरफ नजर आ रही है। इस खेती को न तो खाद की जरूरत, न रोपाई की और न ही किसी और तरह से ध्यान देने की। बरसात का पानी मिलते ही यह स्वत: की लहलहाने लगती है।