बेसहारों को अनाथ कर गई मधु
रमेश जड़ौत, अल्मोड़ा मधु खाती के लिए शिक्षा केवल व्यवसाय नहींथा, बल्कि वह इससे कहीं ऊपर उठ कर सोचती
रमेश जड़ौत, अल्मोड़ा
मधु खाती के लिए शिक्षा केवल व्यवसाय नहींथा, बल्कि वह इससे कहीं ऊपर उठ कर सोचती थीं। मंगलवार सुबह मौत की खबर में पूरे अल्मोड़ा को झकझोर दिया। हर कोई उनकी मौत से सन्न था। आखिर हो भी क्यों न, मधु थीं हीं ऐसी।
मधु खाती देहरादून की रहने वाली थीं। 54 की उम्र पार कर चुकीं मधु का शिक्षा जगत में बड़ा नाम है। वह चाहती थीं शिक्षा का व्यवसाय दून में ही शुरू कर देती, लेकिन उन्होंने 1991 में अल्मोड़ा में कुर्माचल एकेडमी के नाम से स्कूल खोला। 13 बच्चों के साथ शुरू हुए कुर्र्माचल एकेडमी में आज ढाई हजार से ज्यादा बच्चे हैं। उनका सफर यहीं नहीं रुका। शादी के महज ढाई वर्ष बाद ही उनके पति का देहांत हो गया, लेकिन नए सफर की ठान चुकीं मधु ने बेसहारा और गरीब बच्चों को शिक्षित करने की ठानी। वर्ष 2001 में लोधिया में निरपेक्ष अभिलाषा के नाम से स्कूल की स्थापना की। आज इस स्कूल में दो सौ से ज्यादा बच्चे अपने बेहतर जीवन की संरचना में जुटे है। खास बात यह है कि इस स्कूल में बच्चों से फीस नहीं ली जाती।
मधु समाजसेवा में भी पीछे नहीं थीं। खास कर ऐसी महिलाओं के लिए जिनके पति नहीं थे और उनका जीवन आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। मधु ने ऐसे लोगों की मदद की। इतना ही नहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम और त्योहारों में भी वह पूरे उत्साह के साथ सम्मलित होती थी।
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अंत तक कहा, मेरे बच्चे इंतजार कर रहे होंगे
मधु अस्पताल में थीं और इधर 21 फरवरी से स्कूल खुलने वाले थे। वह अपने स्कूल के बच्चों से बेइंतहा प्यार करती थीं। तभी अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद भी वह बच्चों के लिए परेशान थीं। उनके साथ रहने वालों ने बताया कि मधु लगातार चिकित्सकों से पूछती थीं कि वह कब ठीक होंगी। उनके बच्चे इंतजार कर रहे होंगे।
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गांव के बच्चों के लिए सस्ता स्कूल
मधु ने जहां उच्च वर्ग के लिए कुर्र्माचल स्कूल की स्थापना की वहीं गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा देने वाला स्कूल भी खोला। हालांकि कुर्र्माचल में भी तमाम बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें मुफ्त शिक्षा मिलती है। इन सबके बाद मधु ने कोसी में कुर्र्माचल की एक और शाखा खोली। यह खास तौर पर पहाड़ के बच्चों के लिए था। आइसीएससी बोर्ड के इस स्कूल में बेहद कम पैसों में पहाड़ के बच्चों को शिक्षा दी जाती है।