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डगमग डगर पर जीत की राह देख रहे नेता जी

सर्वेश तिवारी, अल्मोड़ा आदर्श आचार संहिता लागू है और नेता जी कोई काम ऐसा नहीं करना चाहते कि वह निर्

By Edited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 05:18 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 05:18 PM (IST)
डगमग डगर पर जीत की राह देख रहे नेता जी
डगमग डगर पर जीत की राह देख रहे नेता जी

सर्वेश तिवारी, अल्मोड़ा

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आदर्श आचार संहिता लागू है और नेता जी कोई काम ऐसा नहीं करना चाहते कि वह निर्वाचन आयोग की निगाह में आएं, लेकिन फिर भी एक-एक वोट के लिए जुगाड़ का गणित तो लगाना ही होगा। खासकर उन मतदाता स्थलों पर जो कई-कई किमी की पैदल दूरी पर है। अब नेता जी इस जुगाड़ में लगे हैं कि अगर वह ऐसे वोटरों को मतदान स्थल तक पहुंचाने में कामयाब हो गए तो जीत की राह आसान हो जाएगी।

हालांकि नेता जी के लिए यह काम आसान नहीं है, क्योंकि नेता जी हर हरकत पर निर्वाचन आयोग की पैनी नजर है। अब बात जिले के मतदाता स्थलों की करें तो तीन मतदाता स्थल ऐसे है, जिन तक पहुंचने के लिए मतदाता को मुख्य मार्ग से 15 किमी तक पैदल चलना होगा। अब इस बात की भी गारंटी नहीं है कि ये रास्ते सुगम होंगे। बल्कि पहाड़ पर कहीं-कहीं तो खड़ी चढ़ाई चढ़नी होगी। सबसे लंबी दूरी 15 किमी के बाद जिले में 63 ऐसे मतदाता स्थल है, जहां पहुंचने के लिए छह से 10 किमी की दूरी नापनी होगी। जाहिर सी बात है कि ऐसी परिस्थितियों में मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचने से कतराता है और जब वोट कम पड़ते है तो इसका सीधा नुकसान प्रत्याशी को होगा है। जो प्रत्याशी कभी नहीं चाहता। ऐसे में नेता जी निर्वाचन आयोग की निगाह से बचते हुए जुगाड़ की गाड़ी चलाने की फिराक में लगे हुए है।

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इन मतदाता स्थलों पर लगेगी इतनी दौड़

क्षेत्र 1-5किमी 6-10किमी 11-15किमी

द्वाराहाट 91 3 1

सल्ट 124 8 0

रानीखेत 69 5 0

सोमेश्वर 92 5 5

अल्मोड़ा 79 12 1

जागेश्वर 126 30 1

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घर से नहीं मुख्य मार्ग से नापी है दूरी

मतदाता का घर कहां है, ये तो नहीं पता, लेकिन पैदल दूरी के जो आंकड़े हैं, वह मुख्य मार्ग से नापे गए हैं। यानि मतदाता अपने घर से मुख्य मार्ग के उस स्थान तक तो आसानी से पहुंच सकता है, जहां से रास्ता मतदाता स्थल की ओर जाता है और यहीं मुख्य मार्ग से उसे आंकड़ों में दर्ज किमी की दूरी पैदल तय करनी होगी। केवल मतदाता ही नहीं बल्कि यह सितम उन कर्मचारियों को भी सहना होगा जिनकी ड्यूटी मतदान स्थलों पर लगी है। उन्हें अपने भारी-भरकम सामान के साथ पहाड़ चढ़ना होगा।


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