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इधर देखिए बरसात है साहिब

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : उजाला नहींहै रात है साहिब, इधर देखिए बरसात है साहिब..। मनीष तिवारी की इस

By Edited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 08:12 PM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 08:12 PM (IST)

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : उजाला नहींहै रात है साहिब, इधर देखिए बरसात है साहिब..। मनीष तिवारी की इस कविता पर लोग वाह-वाह करते नहींथक रहे है। हालांकि यह सिलसिला यहींतक नही था। छंजर सभा के बैनर तले त्रिपुरा सुंदरी नव युवक कला केंद्र में आयोजित हुई काव्य गोष्ठी में साहित्यकारों ने एक से बढ़कर एक रचना प्रस्तुत की। इसी क्रम में मीनी जोशी ने मेरा हाथ पकड़ कर ले चले, देहरी से उस पार..। मनीष पंत ने तू मेरी धड़कन जैसी है, मैं ह्रदय तेरा मेरी बहना, तू रात घनेरी तालों सी, मैं चांद तेरा मेरी बहना..ने भाई बहन के प्रेम को उजागर किया। बीना चतुर्वेदी ने प्यार की बेइंतहा दौलत को संभाले रखती हूं, कौन कहता है, मैं गरीबी में बसर करती हूं..। नीरज पंत ने खा-खा करके पेट सभी के भर गए है, घोटाले कर करके ये तो छक गए है.. ने मौजूदा राजनीति पर करारा प्रहार किया। डा. निर्मल कुमार पंत ने काम में आकर भ्रम, यह सुमन से पूछता है, क्या किसी भ्रमर ने निक से पहले कभी तुमको छुआ है..। ललित चंद्र ने संभल कर चलना रे पथिक, रौंद देंगे ये दरिंगे कीचड़ बताकर..। पुष्पा धौनी ने अंधेरे कमरे में एक पुरानी किताब जैसे पड़े हुए हैं, बहुद ही अच्छे थे बचपन में, ना जाने क्यों बड़े हुए है..। वहींविनोद जोशी ने अरे कनुवा तू आज हुतै, तन तुके पंत चलन कि कतुक बीसी सैकाड़ हुनी, यो कलजुग में नानतिन, कसिक रुनी.. सुना कर श्रोताओं की वाह-वाही लूटी। अध्यक्षता कवि विनोद जोशी व संचालन नीरज पंत ने किया।

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