Move to Jagran APP

पहले खरीदते थे अब बचेंगे

चन्दन नेगी, अल्मोड़ा एकीकृत आजीविका परियोजना फलदाई साबित होने लगी है। इसका ताजा नमूना निकटवर्ती

By Edited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 06:57 PM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 06:57 PM (IST)

चन्दन नेगी, अल्मोड़ा

loksabha election banner

एकीकृत आजीविका परियोजना फलदाई साबित होने लगी है। इसका ताजा नमूना निकटवर्ती गांव फलसीमा भी बना है। जहां परियोजना से अलख जगी। जिससे नई आस जगी है कि जल्द यह गांव हल्दी व अदरक बाजार को देगा। जबकि अब तक गांव के लोग ही इन्हें बाजार से क्रय कर खाते आ रहे हैं।

हवालबाग ब्लाक का ग्राम फलसीमा अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब तीन किमी दूर है। इस गांव में मिट्टी की कमी, कभी अतिवृष्टि, कभी सूखा व ओलावृष्टि की मार से गांव में खेती प्रभावित होते आई है। बांकी कसर जंगली जानवर नुकसान पहुंचाकर पूरी कर रहे हैं। आजीविका परियोजना के तहत इस गांव में ग्रामीण विकास विभाग से अनुबंध पर गत वर्ष मार्च माह से तकनीकी संस्था ग्रास ने कृषि को आयअर्जक बनाने की पहल शुरू की। गांव जाकर स्थिति व संभावना देखी। गांव के कृषि पर निर्भर लोगों विशेषकर महिलाओं को योजना से जोड़ते हुए गांव में कुछ सब्जियों समेत अदरक व हल्दी की खेती की ठानी। उत्पादक समूह गठित कर प्रत्येक सदस्य का रजिस्ट्रेशन कर खाता खोला गया। 50 महिलाओं के चार उत्पादक समूह बनाए गए हैं। उद्यान विभाग ने पंतनगर कृषि विवि द्वारा उत्पादित हल्दी व अदरक के कंदों को खरीदकर कृषकों को दिए। इसके उत्पादन की तकनीक योजना से जुड़े लोगों को समझाई गई।

उक्त ठोस पहल के बाद वर्तमान में कुछ जगह सब्जियां पैदा हो रही हैं, तो करीब 50-60 नाली कृषि भूमि में अदरक व हल्दी की फसल तैयार हो रही है। अब तक कुछ घरों द्वारा न्यून मात्रा में ही इसका उत्पादन किया जा रहा था और अक्सर लोग ये चीजें बाजार से ही क्रय कर इस्तेमाल करते आ रहे हैं। अदरक व हल्दी की खेती में एक फायदा ये है कि इसे जंगली जानवर ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते और इनकी बिक्री भी महंगी होती है। ऐसे में उम्मीद जगी है कि अब यह गांव अदरक व हल्दी बेचेगा और ग्रामीण आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करेंगे।

जिले में आजीविका परियोजना के तहत फिलहाल 7 ब्लाकों सल्ट, स्याल्दे, चौखुटिया, भिकियासैंण, हवालबाग, ताड़ीखेत व द्वाराहाट हैं। जिनमें से अनुबंध पर संस्थाओं द्वारा कृषि व पशुपालन की तरक्की के प्रयास हो रहे हैं। परियोजना की गत वर्ष से ही गतिविधियां चल रही हैं, जो वर्ष 2021 तक चलेंगी। इससे कई जगह लाभ मिलना शुरू हो गया है और नई उम्मीदें जगी हैं।

::: गोपाल चौहान, अध्यक्ष, तकनीकी संस्था ग्रास अल्मोड़ा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.