रानीखेत के जंगलों में भड़की आग
संवाद सहयोगी, रानीखेत : शीतकाल में वन क्षेत्रों को भगवान भरोसे छोड़ना वन महकमे के लिए भारी पड़ने लग
संवाद सहयोगी, रानीखेत : शीतकाल में वन क्षेत्रों को भगवान भरोसे छोड़ना वन महकमे के लिए भारी पड़ने लगा है। हैरत की बात तो यह है कि जिन मिश्रित व चीड़ बहुल जंगलात तक फायर सीजन में एक चिंगारी न भड़क सकी, अब सर्दियों में चुन-चुन कर खाक हो रहे। जैव विविधिता से लबरेज शीतलाखेत की तलहटी, कठपुड़िया का हरा भरा भूभाग और अब सौनी बिनसर का इलाका धुएं के गुबार में छिप सा गया है। वनाग्नि में लाखों की वन संपदा जहां नष्ट होने का अनुमान है, प्राकृतिक वास स्थल झुलसने से वन्य जीव एवं मानव टकराव का अंदेशा भी बढ़ गया है।
लगता है अबकी फरवरी मध्य में फायर सीजन के दौरान वन महकमे को दावाग्नि से निपटने को ज्यादा कसरत नहीं करनी पड़ेगी। वजह सर्दियों में ही तकरीबन सौ हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल लपटों से नष्ट हो चुका है। ये वही जंगल हैं जिन्हें पिछले फायर सीजन में दावानल छू तक नहीं सका था। मजखाली के बाद कुछ दिन पूर्व ताड़ीखेत क्षेत्र में धमाइजर व द्वारसौं का बड़ा हिस्सा दावाग्नि की भेंट चढ़ा। सोमवार से शीतलाखेत की तलहटी में धधकी आग मंगलवार को भी शांत न हो सकी थी कि कठपुड़िया का मिश्रित जंगलात भी चपेट में आ गया।
दूसरी ओर सौनी बिनसर में कंपार्टमेंट नंबर-छह का मिश्रित वन क्षेत्र भी धधक उठा। आग इतनी विकराल थी कि पूरा इलाका धुएं की आगोश में समा गया। हालांकि वन विभाग ने दावा किया कि कर्मचारियों को मौके पर भेज लपटों पर काबू पा लिया गया है। मगर वन संपदा को खासा नुकसान पहुंच चुका है। वहीं वन्य जीवों का आबादी की ओर रुख करने की आशंका भी है।
वर्जन
'यह शरारती तत्वों की करतूत है। सौनी व अन्य क्षेत्रों में जली हुई सिगरेट व बीड़ी फेंक देने तथा सड़क किनारे आग सेंकने के लिए जलाई जा रही आग ही जंगलों में फैल रही है। निगरानी बढ़ाएंगे। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी करेंगे। वैसे सर्दियों में वनाग्नि के ज्यादा फैलने का खतरा पाले की वजह से कम रहता है।
- दीवानी राम, रेंज अधिकारी रानीखेत'