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बेखबर पहरेदार, घायल देवदार

रानीखेत : सौनी बिनसर में देववृक्ष देवदार के विशालकाय पेड़ मानवीय करतूत से संकट में हैं। चिंताजनक पहल

By Edited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 09:22 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2015 09:22 PM (IST)
बेखबर पहरेदार, घायल देवदार

रानीखेत : सौनी बिनसर में देववृक्ष देवदार के विशालकाय पेड़ मानवीय करतूत से संकट में हैं। चिंताजनक पहलू यह कि बमुश्किल 40-50 वर्ष आयु के ये बहुपयोगी हरे-भरे पेड़ तेजी से सूखने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो इन वृक्षों की संख्या दर्जनभर से ज्यादा पहुंची है। मगर वन महकमा पेड़ों को मिले जख्मों पर मरहम तो दूर दोषियों पर शिकंजा तक नहीं कस सका है।

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नगर क्षेत्र से करीब 18 किमी दूर धार्मिक पर्यटन स्थल सौनी बिनसर में प्रत्येक वर्ष बड़ा मेला लगता है। सूत्रों के मुताबिक लगभग छह वर्ष पूर्व अस्थायी दुकानें लगाने के लिए बाहरी शहरों से पहुंचने वाले लोगों ने देवदार के पेड़ों पर मोटी कीलें ठोक डालीं। ताकि कच्चे आवास व दुकानों की तिरपाल से छत बनाई जा सके। लोहे से गहरे घावों के कारण अब देववृक्ष हरियाली खोने लगे हैं। सूखने के कगार पर खड़े पेड़ों की संख्या दर्जनभर से अधिक है। पूरी तरह सूख चुके एक विशालकाय पेड़ को मजबूरन वन विभाग काट चुका है। जल संरक्षण के साथ ही जड़ी बूटियों के लिए भी महत्वपूर्ण देवदार के जंगल की इस बेकद्री ने पर्यावरण प्रेमियों को चिंतित कर दिया है।

=== इंसेट ===

कुमाऊं में देवदार के प्रमुख जोन

= चंपावत, लोहाघाट व देवीधुरा (लगभग 200 हेक्टेयर से अधिक), धौलादेवी (करीब 40 हेक्टेयर), जागेश्वर (50-60 हेक्टेयर), मानिला के अलावा अपेक्षाकृत कम क्षेत्रफल वाले शीतलाखेत, कालीमठ, सौनी बिनसर, बूबूधाम बेल्ट (कालिका क्षेत्र)

== इंसेट===

110 वर्ष पूर्व किया गया संरक्षित

1905 में कंपार्टमेंट नंबर 16 व 23 को देवदार जोन के रूप में संरक्षित किया गया था। यहां के वृक्ष 100 साल पार कर चुके हैं। बीच-बीच में प्लांटेशन से भी देववृक्ष का दायरा विस्तार लेता गया।

=== इंसेट ===

देवदार जोन के मुख्य लाभ

= धूप को बाहर ही रोक अपने इर्दगिर्द नमी क्षेत्र बनाता है

= जड़ी बूटियों को पनपने देने में सहायक

= तापमान को बढ़ने नहीं देता, भूक्षरण व कटाव रोकता है

- प्राकृतिक स्रोतों को जिंदा रख जल व पर्यावरण संरक्षण में मददगार

=== इंसेट===

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

विशेषज्ञों के मुताबिक कील ठोकने से पेड़ के अंदरूनी वलयों को आघात पहुंचता है। साथ ही सेप्टिक हो जाता है। यह संक्रमण चार-पांच साल में वृक्षों को सुखाने लगता है। होर्डिग या प्रचार सामग्री लगाने को भी यही तरीका अपनाया जाता है जो बेहद घातक है।

वर्जन

जांच कराई है। सात पेड़ सूखने की स्थिति में हैं। एक वृक्ष विभागीय उच्चाधिकारियों की अनुमति के बाद जरूरी समझे जाने पर गिराना पड़ा। पांच-छह साल पहले दुकानें लगाने वालों ने मोटी कीलें ठोकी थी, जिससे पेड़ सूख रहे हैं। कड़ी कार्रवाई अमल में लाएंगे।

- दीवानी राम, रेंज अधिकारी


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