राज्य आंदोलनकारी उपेक्षा से त्रस्त, आक्रोश
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : पृथक उत्तराखंड राज्य गठन के 14 सालों बाद भी राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : पृथक उत्तराखंड राज्य गठन के 14 सालों बाद भी राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास नहीं हो पाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरी संसाधनों का अभाव बना हुआ है। राज्य आंदोलनकारी उपेक्षा से त्रस्त हैं। यह बात उत्तराखंड राज्य आदोलकारी प्रकोष्ठ के संयोजक एडवोकेट महेश परिहार ने कही है। कहा है कि उपेक्षा के विरोध में दो सितंबर को राज्य आंदोलनकारी स्थानीय चौघानपाटा गांधी पार्क में धरना देंगे।
कहा कि है कि राज्य गठन के इन 14 सालों में यदि विकास हुआ है तो वह सिर्फ अधिकारियों व नेताओं का हुआ। ग्रामीण जनता मूलभूत सुविधाओं को तरस रही है। पढ़े-लिखे बेरोजगार रोजगार के लिए अन्य राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं तो अस्पतालों में चिकित्सक नहीं हैं। उन्होंने कहा गया है कि राज्य बनने के 14 सालों में उत्तराखंड में बारी-बारी से आई सरकारों ने आंदोलनकारियों को बांटने का काम किया है। प्रत्येक सरकार ने पार्टी कार्यकर्ताओं को आंदोलनकारी घोषित करवाकर उन्हें सुख-सुविधाएं प्रदान की तथा वास्तविक आंदोलनकारियों की उपेक्षा की गई, जो वर्तमान में भी जारी है। उन्होंने कहा है कि राज्य की राजधानी गैरसैंण बनाने, पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क बिजली, पानी की सुविधा समेत रोजगार जैसे बुनियादी सुविधाओं पर किसी भी सरकार द्वारा कार्य नहीं किया गया है।
कहा है कि खेत की फसल बंदर व सुअर नष्ट कर रहे हैं तो भोजन माता के बच्चों का भोजन महंगाई व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। पहाड़ के विकास के लिए दर्जनों शहीद राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं के विपरीत अब तक की सभी सरकारें देहरादून तक सीमित रही हैं।
राज्य आंदोलन की मूल भावनाओं के अनुरूप आदर्श राज्य निर्माण को लेकर सभी राज्य आंदोलनकारियों से दो सितंबर को अल्मोड़ा पहुंचने की अपील की गई है। इस मौके पर राज्य आंदोलन के दौरान 1994 में खटीमा व मसूरी में शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।