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सहकारिता बनेगी सहकारी ड्रग फैक्ट्री की ढाल

रानीखेत : सूबे की सबसे पुरानी सहकारी ड्रग फैक्ट्री बाजार में खुद को बनाए रखने के लिए 'सहकारिता' को ह

By Edited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 11:03 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 11:03 PM (IST)
सहकारिता बनेगी सहकारी ड्रग फैक्ट्री की ढाल

रानीखेत : सूबे की सबसे पुरानी सहकारी ड्रग फैक्ट्री बाजार में खुद को बनाए रखने के लिए 'सहकारिता' को हथियार बनाएगी। स्थानीय किसानों को जोड़ पर्वतीय फलों से बने उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए एमबीए छात्र-छात्राओं को नौकरी पर रखा जाएगा। शुरुआती चरण में कुमाऊं-गढ़वाल के पर्वतीय जिलों तथा ऊधमसिंह नगर के लिए एक-एक प्रतिनिधि नियुक्त किया जाएगा। वहीं आयुर्वेदिक दवाओं के साथ पहाड़ की पारंपरिक दलहन की पैकिंग कर बाजार में उतारा जाएगा। अन्य नामी गिरामी कंपनियों को टक्कर के लिए बाकायदा हरेक जिले में ड्रग फैक्ट्री प्रबंधन अपने डीलर भी तैनात करेगा।

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बगैर सरकारी मदद के 1954 से अब तक कई उतार-चढ़ाव देख चुकी नगर क्षेत्र की कोऑपरेटिव ड्रग फैक्ट्री अब खुद को नए स्वरूप में स्थापित करेगी। अब जबकि पंतजलि के आयुर्वेदिक उत्पादों के जरिये योग गुरु बाबा रामदेव बाजार में अच्छीखासी पैठ बना चुके हैं। ऐसे में मौजूदा प्रतिस्पद्र्धा के दौर में पहचान व वजूद बनाए रखने को ड्रग फैक्ट्री प्रबंधन सहकारिता को ढाल बनाएगा।

कारखाने में तैयार आयुर्वेदिक दवाओं के साथ ही पर्वतीय फल व दलहनों की पैकिंग कर बाजार में उतारा जाएगा। इसमें स्थानीय किसानों को साथ लेने की योजना है। ताकि उनका उत्पाद वाजिब दाम पर सीधे खरीदा जा सके। वहीं एमबीए छात्र-छात्राओं को रोजगार देकर मार्केटिंग का मजबूत नेटवर्क तैयार किया जाएगा। वेतन आदि का खर्च देहरादून स्थित सहकारी ड्रग फैक्ट्री मुख्यालय वहन करेगा।

=== इंसेट===

सालाना टर्न ओवर का लक्ष्य बढ़ाया

खुद के संसाधनों के बूते बेधड़क चल रही कोऑपरेटिव ड्रग फैक्ट्री का सालाना टर्न ओवर छह से सात करोड़ है। इसी से अधिकारी-कर्मचारी समेत करीब चार दर्जन कामगारों का सालाना पौने दो करोड़ रुपया वेतन भुगतान किया जा रहा है। यह हाल तब है, जब राज्य सरकार से कोई वित्तीय मदद नहीं मिल रही। इधर मुख्यालय की नई रणनीति के बाद उत्साहित प्रबंधन ने टर्न ओवर का लक्ष्य बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया है, ताकि शुद्ध लाभ की ओर कदम बढ़ सकें।

== इंसेट ==

'सहकारी ड्रग फैक्ट्री पर कोई संकट नहीं है। हां, राज्य सरकार अपने कुछ ऑर्डर सीधे कारखाने को देती है तो बाहरी राज्यों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। आमदनी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के साथ अब हम पहाड़ की राजमा, लोबिया, भट, गहत आदि दालें तथा बुरांश, माल्टा का जूस, आड़ू, पुलम, खुबानी आदि का अचार-मुरब्बा, चटनी वगैरह की पैकिंग कर बाजार में उतारेंगे। बेहतर कमीशन के साथ हरेक जिले में डीलर व मार्केटिंग के लिए एमबीए छात्र-छात्राओं को 15 हजार रुपये वेतन पर नियुक्त करने जा रहे हैं।

- सीएम अरोड़ा, प्रभारी (प्रोजेक्ट) कोऑपरेटिव ड्रग फैक्ट्री'


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