डाक्टर पैकेज: भाई के गम पर भारी डॉक्टरों की बेरुखी
रानीखेत : भाई को खोने की पीड़ा पर डॉक्टरों की बेरुखी समीर पर भारी पड़ी। उपमंडल के सबसे बड़े राजकीय चिकि
रानीखेत : भाई को खोने की पीड़ा पर डॉक्टरों की बेरुखी समीर पर भारी पड़ी। उपमंडल के सबसे बड़े राजकीय चिकित्सालय की व्यवस्था ऐसी कि उसे यूनुस की लाश पर रोने तथा घर ले जाने का मौका तक नहीं मिला। पहले पोस्टमार्टम में ना नुकुर मारपीट। फिर पूरा दिन मेडिकल रिपोर्ट के लिए सर्जन के चक्कर। खास बात कि संवेदनहीनता के बवंडर में दूरदराज से अल्ट्रासाउंड को पहुंचे मरीजों व उनके तीमारदारों की भी खूब फजीहत हुई।
राजकीय चिकित्सालय में जो कुछ हुआ उसने चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। पोस्टमार्टम कराने पहुंचे मृतक के परिजनों से अभद्रता का खामियाजा अन्य मरीजों को भी भुगतना पड़ा। मारपीट के बाद पोस्टमार्टम किया गया तो कैंचीनुमा औजार के हमले में घायल शरीफ का मेडिकल बनाने में ही सवा चार घंटे लग गए। हमले के आरोपी सर्जन डॉ. मुकेश जोशी कभी इमर्जेसी, ओटी, कभी सीएमएस कक्ष तो कभी कार्यालय में कैद होकर वक्त जाया करते रहे। ऐसे में मृतक के परिजनों का फदीता हुआ ही दूरदराज से पहुंचे मरीजों की जांच भी प्रभावित रही। मगर इन सबके बावजूद डॉक्टरों की संवेदना नहीं जागी। यहां तक कि व्यवस्था से लड़ते-लड़ते समीर अपने भाई की मौत का गम भूल सा गया। हो हल्ला मचने पर प्रार्थना पत्र छिपा दिया गया।