उधर नशे का विरोध, इधर ठेके में रुचि
अल्मोड़ा: मदिरा के मसले पर विरोधाभाषी स्थिति उजागर हुई है। दशकों पूर्व पहाड़ में महिलाएं शराब बंदी आंद
अल्मोड़ा: मदिरा के मसले पर विरोधाभाषी स्थिति उजागर हुई है। दशकों पूर्व पहाड़ में महिलाएं शराब बंदी आंदोलन में लामबंद हुई। इधर समय-समय पर महिलाओं द्वारा जगह-जगह शराब की खिलाफत जैसी घटनाएं होते आ रही हैं। मगर दूसरी ओर शराब के ठेका लेने को भी महिलाएं आगे आई हैं। शराब की दुकानों के लिए इस बार बढ़ी संख्या में महिलाओं ने आवेदन प्रस्तुत किए हैं।
यूं तो मदिरा की दुकानों के आवंटन को आवेदन करने में महिला या पुरुष होने जैसी कोई शर्त नहीं है। महिलाएं भी इसके लिए स्वतंत्र हैं और उनके द्वारा आवेदन करना कोई गुनाह भी नहीं है। मगर पहाड़ के परिदृश्य पर गौर करें तो विरोधाभाषी स्थिति ही सामने आ रही है। एक समय था, जब पहाड़ में महिलाओं द्वारा शराब की दुकानों का ठेका लेना सपना था, बल्कि इसके उलट पहाड़ में शराबबंदी के आंदोलनों में महिलाओं ने सक्रियता हिस्सा लिया। मौजूदा वक्त में भी समय-समय पर जगह-जगह से महिलाओं का शराब के खिलाफ आंदोलन चलाना या मोर्चा खोलना आम बात है। दूसरी ओर शराब के दुकानों के आवंटन के लिए भी महिलाएं आगे आ रही हैं। अकेले अल्मोड़ा जिले में ही गत वर्ष 130 महिलाओं ने मदिरा की दुकानों के आवंटन चाहने के लिए आवेदन किया था और इनमें से सात दुकानें महिलाओं के नाम पर भी नीलाम हुई थी। गत वर्ष की तुलना में इस बार महिला आवेदकों की संख्या में और बढ़ोत्तरी दिखी है। इस बार 214 महिलाओं ने आवेदन किया। इनमें से चार महिलाओं के नाम लॉटरी भी खुली। इनमें विदेशी मदिरा की दुकानों में से अल्मोड़ा में दीपा जोशी व धौलछीना में तुलसी सिराड़ी तथा देशी शराब की दुकानों में से अल्मोड़ा प्रथम की दुकान सरस्वती देवी व भैसियाछाना की दुकान जया गुरुरानी के नाम आवंटित हुई है।