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सपने में घर पर सड़क, हकीकत में 12 किमी दूर

चौखुटिया : खजुरानी गांव के लिए सड़क एक सपने की तरह है जो बंद आंखों में दिखती है और खुली आंख से सड़क के

By Edited By: Published: Mon, 30 Mar 2015 11:03 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 11:03 PM (IST)

चौखुटिया : खजुरानी गांव के लिए सड़क एक सपने की तरह है जो बंद आंखों में दिखती है और खुली आंख से सड़क के दर्शन करने के लिए 12 किलोमीटर की पैदल दूरी नापनी पड़ती है। देश की आजादी के 68 साल बीत गए। उत्तराखंड के रूप में दूसरी आजादी 14 साल पहले मिली, लेकिन खजुरानी तक सड़क पहुंचाने के लिए कोई नेता नहीं जन्मा।

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चौखुटिया विकासखंड की दूरस्थ ग्राम पंचायत है खजुरानी। जो कई तोकों से मिलकर बनी है, लेकिन सड़क न बन पाने से यहां के वाशिंदे रोड हेड से 12 किमी पैदल सफर के बाद अति कठिन व दुर्गम पहाड़ियों से होकर अपने गांव पहुंचते हैं। बरसात के सीजन में गधेरे भर आने से ग्रामीणों का आपसी संपर्क टूट जाता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत खजुरानी के लिए 2005-06 से सड़क तो मंजूर है, लेकिनलंबे इंतजार के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। इसका कारण वन अधिनियम से स्वीकृति न मिल पाना है। बीते वर्ष अक्टूबर में ग्रामीणों ने आंदोलन भी किया था, पर आश्वासन के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ।

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एक नजर स्वीकृत सड़क पर

स्वीकृत सड़क नाम- खीड़ा-खजरानी

सड़क की लंबाई- 18 किमी पहाड़ी क्षेत्र

आंगणन की राशि- 11 करोड़ 33 लाख

स्वीकृति वर्ष- 2005-6 से

वर्तमान स्थिति- वन अधिनियम से मं जूरी का इंतजार।

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खजुरानी की भौगोलिक स्थिति

ग्राम पंचायत का नाम- खजुरानी

शामिल तोक गांव- चनौला, पाखाखरक, खजुरानी, तल्ला गजार व मल्ला गजार।

विकास खंड मुख्यालय से दूरी-18 किमी

2011 के अनुसार जनसंख्या-650

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फोटो न-30सीकेएचपी2, महेंद्र सिंह।

मोटर मार्ग का इंतजार करते-करते ग्रामीण थक गए हैं। इसके लिए लोगों द्वारा गत वर्ष आंदोलन का किया गया, पर उन्हें महज आश्वासन में ही टाल दिया गया। जन प्रतिनिधि भी इस दिशा में मुंह फेरे हुए हैं। ऐसे में क्षेत्रवासी हताश व निराश हैं। महेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता खजुरानी।

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फोटो न-30सीकेएचपी3, बिशन सिंह।

वर्ष 2005-6 से स्वीकृत खीड़ा-खजुरानी सड़क का निर्माण कार्य शुरू न होना क्षेत्र की उपेक्षा है। बार-बार मांग के उपरांत भी किसी ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली। सड़क न होने से बरसात में पैदल आवाजाही भी बंद हो जाती है। बिशन सिंह पाखाखरक गांव निवासी।


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